19 APRFRIDAY2024 6:01:04 PM
Nari

धनतेरस के दिन जलाना ना भूलें यम दीपक, जानिए इससे जुड़ी कथा

  • Edited By khushboo aggarwal,
  • Updated: 10 Nov, 2020 10:31 AM
धनतेरस के दिन जलाना ना भूलें यम दीपक, जानिए इससे जुड़ी कथा

आज देशभर में धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन लोग महालक्ष्मी, भगवान कुबेर, धनवंतरी के साथ यमराज की पूजा भी करते है। शास्त्रों के अनुसार आज के दिन यमराज की पूजा करने व संध्या में दीपदान करने से नरक की यातनाओं व अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है।  इस दिन को लेकर भारतीय शास्त्रों में कई तरह की कथा प्रचलित है।

यूं करें दीपदान 

इस दिन शाम के समय दीपक में सरसों का तेल डाल कर रोली, खीर, मिष्ठान, फूल आदि से उन्हें याद करें। इसके बाद दीपक को घर से बाहर ले जाएं व दक्षिण दिशा में मुंह करके रख दें। 

Image result for यमराज की पूजा,Nari

प्रचलित है यह कथाएं 

पहली कथा 

पुराणों के अनुसार एक राजा की मृत्यु के बाद जब यमदुत उन्हें नरक ले जाने के लिए आए तो राजा ने यमदूत से कहा कि मैंने ऐसा कौन-सा पाप किया है। उस समय यमदूत ने कहा कि एक बार उन्होंने ब्राह्मण को अपने घर से भूखा लौटा दिया था। उसके बाद राजा ने उनसे एक साल का समय मांगा। तब राजा ने ऋषि-मुनियों के पास जाकर अपनी सारी कहानी सुनाई, उन्होंने राजा को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को व्रत कर ब्राह्मणों को भोजन करवा सेवा करने को कहा। 
साल बाद जब यमदूत राजा को वापिस लेने आया तो वह उसे नरक की जगह विष्णु लोक ले गए। तब से इस दिन यमराज की पूजा की जाती है व शाम के समय उनके नाम का एख दीप जलाया जाता है। 

Related image,Nari

दूसरी कथा 

प्राचीन समय में ज्योतिषों ने  हिम नामक राजा के पुत्र की कुंडली देखकर बताया कि शादी के चौथे दिन ही राजकुमार की मृत्यु हो जाएगी। इससे राजा व रानी काफी दुखी रहने लगे। राजकुमार जब बड़ा हुआ था तो उसकी शादी हो गई व सभी को चौथे दिन राजकुमार की मृत्यु का भय सताने लगा लेकिन राजकुमार की पत्नी को किसी भी बात की चिंता नहीं थी।

 

राजकुमार की पत्नी महालक्ष्मी की बहुत बड़ी भक्त थी। उस दिन उसने मां लक्ष्मी की पूजा कर पूरे घर में दीप जला दिए व आरती करके भजन गाने लगी। शाम के समय जब यमराज सर्प बन महल में आए। दीयो की रोशनी के कारण उनकी आंखें चौधियां गई व वह राजकुमार की पत्नी के कमरे में घुस गए। वहां पर वह भजनों में मंत्रमुग्ध हो गए व उन्हें पता ही नहीं चला कि सुबह कब हो गई। सुबह होने पर यमराज को खाली हाथ लौटना पड़ा क्योंकि राजकुमार की मृत्यु का समय टल चुका था। उसके बाद राजकुमार को दीर्घायु का वरदान प्राप्त हुआ। तभी से धनतेरस के दिन यमराज के नाम का दीपक जलाने की परंपरा शुरु हो गई। 

लाइफस्टाइल से जुड़ी लेटेस्ट खबरों के लिए डाउनलोड करें NARI APP

Related News