नारी डेस्कः देवी ब्रह्मचारिणी, माँ दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं। माँ ब्रह्मचारिणी को तपस्या और संयम की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से भक्तों को धैर्य, संयम, और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है। उनके प्रिय वस्त्र सफेद हैं, और उन्हें चीनी और पंचामृत का भोग अर्पित किया जाता है। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी और इसी कारण वे तपस्या और साधना की देवी मानी जाती हैं। उनके बीज मंत्र का जाप करने से भक्तों की साधना शक्ति और जीवन में संतुलन बढ़ता है।
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
माँ ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए सत्य और सादगी का पालन करना चाहिए। यह देवी साधना, तपस्या और ध्यान की शक्ति की प्रतीक हैं। उनकी पूजा में भक्तों को अपने मन को शांत और एकाग्र रखना चाहिए।
बीज मंत्र: माँ ब्रह्मचारिणी के लिए निम्न बीज मंत्र का जाप किया जाता है: "ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः"
इस मंत्र का जाप 108 बार करना भक्त के लिए फलदायक होता है। इससे ध्यान और साधना में शक्ति मिलती है।
प्रिय वस्त्र: देवी ब्रह्मचारिणी को सफेद वस्त्र अत्यंत प्रिय है, जो शुद्धता और तपस्या का प्रतीक है।
प्रिय भोग: माँ ब्रह्मचारिणी को चीनी और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) का भोग अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही देवी को सफेद रंग के फूल भी बहुत प्रिय होते हैं, जो पूजा के दौरान अर्पित किए जाते हैं।
देवी ब्रह्मचारिणी की कथा
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा के अनुसार, उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। जब उन्होंने यह जान लिया कि वे पिछले जन्म में सती थीं और इस जन्म में भगवान शिव को ही अपना पति बनाना है, तो उन्होंने कठोर तप शुरू किया। हजारों वर्षों तक वे केवल फल और कंद-मूल खाकर जीवित रहीं और फिर हजारों वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या करती रहीं। उनकी इस कठोर तपस्या से सभी देवता, ऋषि-मुनि और भगवान शिव भी प्रसन्न हो गए। उनकी तपस्या के बल पर ही उन्हें भगवान शिव का साथ प्राप्त हुआ।
माँ ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के उपाय
सत्य और संयम का पालन करें: माँ ब्रह्मचारिणी सत्य, संयम और साधना की देवी हैं, इसलिए अपने जीवन में सत्य, संयम और साधना का पालन करें।
सफेद वस्त्र और फूल: मां को सफेद वस्त्र और सफेद फूल अर्पित करें। सफेद रंग शुद्धता और शांति का प्रतीक है, जो माँ को अत्यंत प्रिय है।
व्रत और तपस्या: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय मन को संयमित रखें और व्रत का पालन करें। साथ ही साधना और ध्यान में अपने मन को एकाग्रित करें।
पवित्रता का पालन: मां की पूजा करने वाले भक्तों को अपने मन, वचन और कर्मों से शुद्ध रहना चाहिए। पवित्रता से की गई पूजा माँ को प्रसन्न करती है।