देशभर में अपना कोहराम मचाना वाला कोरोना का कहर अभी भी खत्म नहीं हो रहा। खासकर बात अगर दिल्ली की करें तो वहां हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। हालांकि सरकार ने इस वायरस के बचाव के लिए कदम तो उठाने शुरू कर दिए हैं लेकिन हालात इटली से भी ज्यादा खराब होते जा रहे हैं। वहीं रोजाना खबरों में इसके हैरान करने वाले आंकड़ें सामने आ रहे हैं लेकिन वो आंकड़ें अस्पतालों में मरने वालों के हैं लेकिन खबरों की मानें तो घरों में भी लोग मर रहे हैं।
घरों के अंदर मर रहे लोग
खबरों की मानें तो एक तरफ जहां लोग अस्पतालों में दम तोड़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर जो लोग आइसोलेशन में है वह भी अपने घर दम तोड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में शहीद भगत सिंह सेवा दल नामक संस्था आगे आ रही है जो इन शवों का अंतिम संस्कार कर इंसानियत का फर्ज निभा रही है।
शव जलाने के लिए नहीं मिल रही जगह
वहीं मीडिया रिपोर्टस की मानें तो दिल्ली में लोगों को इलाज के लिए अस्पातल नहीं मिल रहे हैं और अगर मिल रहे हैं तो वहा बेड नहीं और अगर बेड है तो ऑक्सीजन नहीं है और अगर अस्पतालों में सब कुछ है लेकिन लोगों की मौत होने के बाद शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए भी जगह नहीं है।
मई-जून से भी ज्यादा बदतर हो रहे हालात
हालांकि कोरोना की शुरूआत में दिल्ली में इतने खराब हालात नहीं थे लेकिन इस महिने नवंबर में जो आंकड़े सामने आए हैं उसने सब को हैरान कर दिया है। इसका कहीं न कहीं कारण साधनों का न होना बताया जा रहा है। एक-एक एंबुलेंस में तकरीबन 5-6 शव आ रहे हैं लेकिन हालात इतने खराब हैं कि शवों को जलाने के लिए जगह नही है।
छोटे-छोटे बच्चे भी गवा रहे जान
शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए शहीद भगत सिंह सेवा दल संस्था बहुत नेक काम रही हैं और वह कोरोना से मरने वालों के शवों का अंतिम संस्कार कर रही है। उनकी मानें तो मरने वालों में बच्चे, बूढ़े और औरतें सब है लेकिन उन्हें मरने के बाद उनके हाल में छोड़ दिया जाता है।
शवों को जलाने के लिए हो रही वेटिंग
दिल्ली में कोरोना से हालात इतने खराब हो गए हैं कि शवों को जलाने के लिए घंटो तक इंतजार करना पड़ रहा है और इसके लिए परिवार वालों को लाइन में वेट करनी पड़ रही है।
ज्यादा खराब हो सकते हैं हालात!
वहीं दिल्ली में ऐसी स्थिति देखकर हर किसी को इसी बात की चिंता है कि दिल्ली में हालात इससे भी ज्यादा खराब हो सकते हैं। देखा जाए तो दिल्ली में ही सबसे ज्यादा केस सामने आ रहे हैं और कोरोना के मामलों की संख्या 5 लाख के पार हो चुकी है। वहीं इसके साथ सरकार और प्रशासन पर भी कईं तरह के सवाल उठते हैं।