दुनियाभर के देश अभी भी कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे हैं। इस वायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीन तो कुछ देशों ने बना ली है लेकिन अब कोरोना के नए स्ट्रेन से एक और खतरा पैदा हो गया है। इस नए स्ट्रेन के कारण बहुत सारे देशों में लॉकडाउन भी लगा दिया गया है वहीं अब इसका असर बाकी देशों पर भी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है।
जापान तक पहुंचा कोरोना का नया स्ट्रेन
आपको बता दें कि कोरोना के इस नए स्ट्रेन ने अब जापान में भी दस्तक दे दी है। इसकी पुष्टि जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने की है। स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो जापान में ब्रिटेन में पनपे कोरोना के नए वेरिएंट का पहला मरीज मिला है।
5 लोग पाए गए कोरोना पॉजिटिव
मीडिया रिपोर्टस की मानें तो जापान में 5 ऐसे व्यक्ति आए हैं जो कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। हालांकि यह लोग ब्रिटेन से लौटने वाले बताए जा रहे हैं। वहीं जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि ये पांचों व्यक्ति कोरोना के नए स्ट्रेन के शिकार हुए हैं।
फ्रांस में भी मिला 1 केस
वहीं आपको बता दें कि खबरें यह भी हैं कि फ्रांस से भी इसका एक मामला सामने आया है। और फ्रांस लौटे शख्स में ये नया स्ट्रेन पाया गया है।
70 % ज्यादा फैलता है कोरोना का नया स्ट्रेन
आपको बता दें कि कोरोना का यह नया स्ट्रेन पुराने वायरस से काफी खतरनाक है और ऐसा भी कहा जा रहा है कि यह 70 प्रतिशत अधिक फैलता है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोरोना के इस नए स्ट्रेन के मामले अब तक कुल 8 यूरोपीय देशों में पाए गए हैं। वहीं इससे पहले शुक्रवार को जापान, डेनमार्क, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने बताया कि उनके यहां भी कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन से संक्रमित मरीजों के मामले सामने आए हैं। इससे पहले ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका के बाद अफ्रीकी देश नाइजीरिया में कोरोना वायरस का एक नया स्ट्रेन पाया गया था।
क्यों खतरनाक है कोरोना का नया स्ट्रेन?
कोरोना के नए मामले सामने आने के वैज्ञानिक एक ही बात कह रहे हैं कि यह वायरस म्यूटेशन कर रहा है। दरअसल म्यूटेशन का अर्थ होता है कि वायरस अपना रूप बदल रहा है और यह और अधिक खरतनाक हो रहा है। यानि कि इस वायरस में बदलाव हो रहे हैं।
बच्चों और युवाओं के लिए खतरनाक
इस नए स्ट्रेन ने सब की चिंता बढ़ा दी है हालांकि अभी वैज्ञानिकों की इसकी पूरी जानकारी तो नहीं मिल पाई है लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि यह नया स्ट्रेन 70 फीसद ज्यादा खतरनाक है और इससे युवाओं के साथ बच्चों को इससे सबसे ज्यादा खतरा है और उन्हें इससे सतर्क रहने की जरूरत है।