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जब कोच नहीं मिला तो बेटियों को खुद ही दी खेतों में ट्रेनिंग

  • Edited By shipra rana,
  • Updated: 27 Feb, 2020 03:05 PM
जब कोच नहीं मिला तो बेटियों को खुद ही दी खेतों में ट्रेनिंग

आपने तो सुना ही होगा कि एक अच्छा स्पोर्ट्स पर्सन बनने के लिए एक कोच की तो जरुरत होती है। अगर यह कोच आपके पिता या माता ही बन जाए तो आप सिर्फ एक अच्छे स्पोर्ट्स पर्सन ही नहीं बल्कि दुनिया के एक अच्छे आदमी भी बन सकते है। कुछ ऐसा ही हुआ है हिसार जिले के गांव खानपुर में। वहां पर एक पिता ने अपनी दो बेटियों को खेत में ही एथलेटिक जैसे खेल में माहिर बना दिया। उन दोनों लड़कियों ने इस खेल में इतनी महारत हासिल कर ली है कि एक तो गोल्ड मैडल भी जीत कर आई है। आइए आपको इन बुलंद बेटियों और कोच पापा की सफल कहानी से अवगत करवाते है। 

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हाल ही में बड़ी बेटी गीता नेशनल स्तर पर दो स्वर्ण पदक हासिल करके आई है। इस बात से बेहद खुश पिता जगत सिंह ने अपनी बेटी के संघर्ष को सबसे साझा किया है। लेकिन बेटी की मेहनत के पीछे तो पिता की लग्न भी सबको नजर आई है। जगत जी बताते है कि वर्ष 2018 में बेटी महाबीर स्टेडियम में एथलेटिक कोच पवन लांबा से सीखने जाती थी। वो उन्हें खुद लेकर जाते थे और खुद लेकर आते थे। 

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लेकिन कुछ समय बाद कोच पवन लांबा का तबादला हो गया। जिस कारण से बेटी की प्रैक्टिस रुक गई। पिता जगत यह देख नहीं पाए और वो खुद ही बेटी को प्रैक्टिस करवाने लगे। बतादें कि पिता जगत सिंह बेटी को डेढ़ साल से एथलेटिक का अभ्यास करवा रहे थे। यह मेहनत रंग लाई और हाल ही में गीता ने शॉटपुट और क्लब थ्रो में स्वर्ण पदक भी हासिल किया। 

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यही-नहीं पिता जगत छोटी बेटी को भी इंटरनेशनल मेडलिस्ट बनाना चाहते है। उनका कहना है कि 'मेरा लक्ष्य छोटी बेटी को भी इंटरनेशनल मेडलिस्ट खिलाड़ी बनाना है।' यहां तक कि वो अपनी बेटियों को रोजाना 2 घंटे प्रैक्टिस करवाते है। जगत जी की पत्नी मूर्ति देवी का कहना है कि 'आज बेटियां हर क्षेत्र में पहचान बना रही हैं। बड़ी बेटी ने अपनी प्रतिभा दिखाते हुए नेशनल स्तर पर नाम चमकाया है। अब छोटी बेटी भी एथलेटिक की तैयारी में जुट गई है।'आजकल जहां बड़े-बड़े कोचिंग सेंटर में पेरेंट्स अपने बच्चों को प्रैक्टिस या ट्यूशन भेजने के लिए उतावले होते है। वहीं कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों की कमज़ोरी व् ताकत को जानकार सही जगह इस्तेमाल कर उन्हें सफल बनाने में कामयाब हो जाते है। सलाम है ऐसे मां-बाप को जिन्होंने इतना बड़ा कदम उठाया और सबको साबित कर दिया कि मां-बाप ही बच्चों के असली गुरु है। 

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