आज के समय में लोगों के रहन-सहन का तरीका काफी बदल गया है। शराब और सिगरेट पीने को फैशन माना जाता है। पुरुष ही नहीं औरते भी इसका सेवन खुलेआम करती है पर क्या आप जानते है मां बनने वाली औरत के ये चीजें कितनी हानिकारक हो सकती है। अखिल भारतीय आर्युवज्ञान संस्थान (एम्स) के नए अध्ययन की मानें तो गर्भावस्था के शुरूआती कुछ सप्ताह में धूम्रपान, शराब पीने, चूल्हे से निकलने वाले धुएं के बीच सांस लेने या परोक्ष धूम्रपान, ज्यादा दवाएं लेने एवं विकिरण की चपेट में आने और पोषण संबंधी कमियां होने से नवजात के चेहरे में जन्मजात विकृतियां हो सकती हैं।
एम्स के दंत चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान (सी.डी.ई.आर.) ने 2010 में इस अध्ययन की शुरूआत की जिसे 3 चरणों-प्री पायलट, पायलट और मल्टी सैंट्रिक में पूरा किया जा रहा है। अभी नई दिल्ली, हैदराबाद, लखनऊ और गुवाहाटी में मल्टी सैंट्रिक चरण चल रहा है। पायलट चरण में दिल्ली के एम्स, सफदरजंग अस्पताल और गुडग़ांव के मेदांता मैडिसिटी में यह अध्ययन हुआ। इस परियोजना के प्रमुख शोधकत्र्ता एवं सी.डी.ई.आर. के प्रमुख ओ.पी. खरबंदा ने कहा, ‘‘इस विकृति से जूझ रहे मरीजों को इलाज की तत्काल जरूरत होती है।’’
कटे हो सकते है होंठ
अध्ययन के मुताबिक, इनके कारण होंठ कटे हो सकते हैं या तालू में कोई विकृति हो सकती है। कटे हुए होंठों से बच्चे को बोलने और खाना चबाने में दिक्कत आती है। इससे दांत भी बेतरतीब हो जाते हैं, जबड़े से उनका तालमेल बिठाने में दिक्कत पेश आती है और चेहरे की आकृति बिगड़ी नजर आती है।
भारत में हर साल 35000 मामले
एक अनुमान के मुताबिक, एशिया में प्रति 1,000 या इससे ज्यादा नवजात में से करीब 1.7 फीसदी के होंठ कटे होते हैं या तालू में विकृति होती है। भारत में इससे जुड़े आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन देश के अलग-अलग हिस्से में हुए कई अध्ययन बताते हैं कि होंठ कटे होने के कई मामले सामने आते रहे हैं। अनुमान है कि भारत में हर साल करीब 35,000 ऐसे नए मामले सामने आते हैं।
विकास भी होता है प्रभावित
गर्भावस्था के दौरान नशा करने वाली महिलाओं के बच्चों का विकास कम होता है। एक शोध में कहा गया है कि शराब पीने वाली महिलाओं की संतानों का वजन, लंबाई और सिर की परिधि कम पाई गई। प्रतिदिन तीन यूनिट तक शराब पीने वाली महिलाओं के बच्चों की लंबाई कम मात्रा या शराब नहीं पीने वाली महिलाओं के बच्चों की तुलना में कम होती है।
गंभीर रोगों का भी खतरा
धूम्रपान करने वाली माताओं के बच्चों को कैंसर जैसे गंभीर रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है और ऐसे में बच्चों में सबसे अधिक रक्त कैंसर यानी ब्लड कैंसर का खतरा रहता है। दरअसल गर्भधारण के बाद या पहले यदि माताएं अधिक धूम्रपान करनी हैं तो बच्चे में एक्यूट लिफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया का खतरा बढ़ता जाता है।