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Akshaya Tritiya पर बन रहे कई सारे शुभ संयोग, जान लें पूजा की विधि और मुहूर्त

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 01 May, 2024 06:52 PM
Akshaya Tritiya पर बन रहे  कई सारे शुभ संयोग, जान लें पूजा की विधि और मुहूर्त

सनातन धर्म में वैशाख के शुक्ल पक्ष तृतीय तिथि पर हर साल अक्षय तृतीया मनाई जाती है। इस साल अक्षय तृतीया 10 मई को सुबह 4.17 बजे से शुरु होगा। ये त्योहार गजकेसरी, शश और सुकर्मा योग में पड़ रहा है, जो श्रद्धालुओं और खरीदारों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। ज्योतिषाचार्य के हिसाब से अक्षय तृतीय के दिन रोहिणी नक्षत्र हो तो इसका महत्व हजार गुना तक बढ़ जाता है। इस बार 10 मई को सुबह 10.47 बजे रोहिणी नक्षत्र पड़ रहा है। अक्षय तृतीया पूजा का सबसे शुभ समय सुबह 7.44 बजे से दोपहर 12.20 बजे तक का है। वैसे तो अक्षय तृतीया को ज्योतिष में स्वयंसिद्ध मुहूर्त भी कहा जाता है। अत: इस दिन कोई भी शुभ कार्य किया जाता है।

भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना

मत्स्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीय के दिन अक्षत, पुष्प दीप आदि द्वारा भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी की आराधना से विशेष कृपा मिलती है। संतान भी अक्षय बनी रहती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर सामर्थ्य अनुसार जल, अनाज, गन्ना, दही, सत्तू, सुराही, हाथ से बने पंखे आदि दान करने से विशेष फल मिलता है। दान को वैज्ञानिकता अधार पर ऊर्जा के रूपांतरण से जोड़ कर देखा जाता है।

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इस दिन का महत्व

इस दिन का अपना महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। इस दिन गंगा मइया धरती पर अवतरित हुई थी। सतयुग, द्वापर और त्रेतायुग की शुरुआती की गणना इसी दिन से शुरू होती है। इसी दिन बद्रीनाथ का पट खुलता है और वृंदावन में बांके बिहारी के चरणों का दर्शन साल में एक बार ही होता है। इस दिन ग्रहों के राजा सूर्य और ग्रहों की रानी चंद्रमा अपनी उच्च राशि में मौजूद रहते हैं। अक्षय तृतीया में खरीदारी के साथ दान- पुण्य का विशेष महत्व रहेगा।

कई शुभ योग में बन रहे अक्षय तृतीया पर

ज्योतिषियों के अनुसार सुकर्मा योग को सुख- सुविधा और धन- ऐश्वर्य बढ़ाने वाला होता है। अक्षय तृतीया पर इस योग का निर्माण दोपहर 12 बजे के बाद हो रहा है। सोने की खरीदारी करना बहुत शुभ रहेगा। वहीं, गजकेसरी योग में सफलता, धन- धान्य, पद- प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी होती है। ये योग तब बनता है जब चंद्रमा गुरु बृहस्पति के साथ किसी राशि में युति करते हैं या फिर उसकी दृष्टि होती है। शश योग तब बनता है जब शनि ग्रह कुंडली के लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें या दसवें घर में होता है। ज्योतिष में शश योग वैदिक ज्योतिष के पंच महापुरुष योगों में से एक है।

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जान लें अक्षय तृतीया में खरीदारी का समय

सुबह 5.33 बजे से 10.37 बजे तक

दोपहर 12. 18 बजे से 1.59 बजे तक

शाम 5.21 बजे से 7.02 बजे तक

रात 9.40 बजे से 10.59 बजे तक
 

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