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मोक्षदा एकादशी 2024: जानिए इस पावन तिथि का महत्व, व्रत कथा और पूजन विधि

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 11 Dec, 2024 01:00 PM
मोक्षदा एकादशी 2024: जानिए इस पावन तिथि का महत्व, व्रत कथा और पूजन विधि

नारी डेस्क: सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है। हर महीने दो एकादशी तिथियां आती हैं। दिसंबर महीने में आने वाली पहली एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इस बार मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर 2024, बुधवार को पड़ रही है। इसे गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को महाभारत की रणभूमि में गीता का उपदेश दिया था।

मोक्षदा एकादशी का महत्व

मोक्षदा एकादशी को सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इसका कारण यह है कि इस व्रत के प्रभाव से न केवल व्यक्ति के पापों का नाश होता है, बल्कि पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है। यह व्रत पितरों की आत्मा की शांति के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। मोक्षदा एकादशी का पालन करने से मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त होता है।

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मोक्षदा एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार वैखानस नामक राजा को स्वप्न में यह आभास हुआ कि उनके पिता नरक में यातनाएं झेल रहे हैं। पिता की आत्मा को शांति और मुक्ति दिलाने के लिए राजा पर्वत महात्मा के आश्रम पहुंचे। महात्मा ने उन्हें बताया कि उनके पिता को नरक में कष्ट इसलिए हो रहा है क्योंकि उन्होंने अपने पिछले जन्म में बुरे कर्म किए थे। महात्मा ने राजा से कहा कि मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी, यानी मोक्षदा एकादशी का विधिपूर्वक व्रत-पूजन करें। इस व्रत के प्रभाव से उनके पिता को नरक से मुक्ति मिलेगी और स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त होगा। राजा ने महात्मा के निर्देशानुसार व्रत और पूजा की, जिससे उनके पिता को मोक्ष मिला और उनकी आत्मा को शांति मिली। इस घटना के बाद से मोक्षदा एकादशी को विशेष धार्मिक महत्व दिया जाता है।

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मोक्षदा एकादशी व्रत एवं पूजन विधि

स्नान और संकल्प: इस दिन प्रातःकाल गंगा स्नान अथवा पवित्र जल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल, दूध और फूलों से स्नान कराएं। उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं और धूप-दीप जलाएं।

गीता पाठ: इस दिन श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें।

व्रत कथा सुनें: व्रत के दौरान मोक्षदा एकादशी की कथा का श्रवण करना चाहिए।

भोजन और दान: व्रत के दिन अन्न का सेवन न करें। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें।

गीता जयंती का महत्व

मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। गीता हमें जीवन के धर्म, कर्तव्य और मोक्ष का मार्ग दिखाती है। इस कारण मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती एक साथ मनाई जाती है।

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विशेष मान्यता

मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त होकर ईश्वर के समीप पहुंचता है।
यह व्रत न केवल वर्तमान जीवन में सुख-शांति लाता है, बल्कि मृत्यु के बाद भी मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

नोट: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल धार्मिक जागरूकता फैलाना है।

 
 

 


 

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