नारी डेस्क: मार्गशीर्ष पूर्णिमा, जिसे अगहन पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में बेहद शुभ मानी जाती है। यह साल 2024 की आखिरी पूर्णिमा है और इस बार यह 15 दिसंबर 2024, रविवार को पड़ रही है। धार्मिक दृष्टिकोण से इस दिन का खास महत्व है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, सत्यनारायण पूजा, व्रत और मां अन्नपूर्णा की पूजा करना शुभ माना जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर ही अन्नपूर्णा जयंती भी मनाई जाती है। हालांकि, इस पवित्र दिन पर कुछ कार्य ऐसे हैं जिन्हें करने से बचना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, इन नियमों का पालन न करने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा नहीं मिलती। आइए जानते हैं, इस दिन किन कार्यों को करने से बचना चाहिए।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर क्या न करें
बाल और दाढ़ी न बनवाएं
पूर्णिमा के दिन बाल कटवाना या दाढ़ी बनवाना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन शरीर से जुड़ी किसी भी चीज़ को काटने या निकालने से अशुभ ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है। इससे मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं और आपके घर की सुख-समृद्धि में कमी आ सकती है। इसके साथ ही ज्योतिष के अनुसार, बाल और दाढ़ी कटवाने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर होती है, जिससे मानसिक और भावनात्मक संतुलन बिगड़ सकता है।
काले कपड़े न पहनें
पूर्णिमा के पवित्र दिन पर काले कपड़े पहनने से बचना चाहिए, क्योंकि काला रंग नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि शुभ अवसरों और धार्मिक दिनों पर काले रंग का उपयोग व्यक्ति के जीवन में बाधाएं उत्पन्न कर सकता है। इसके बजाय लाल, पीला, गुलाबी, सफेद या हरा जैसे शुभ और सकारात्मक रंग पहनें, जो समृद्धि और सुख का प्रतीक माने जाते हैं।
तुलसी के पत्ते न तोड़ें
शास्त्रों में कहा गया है कि पूर्णिमा, एकादशी और रविवार के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित है। तुलसी को भगवान विष्णु की अत्यंत प्रिय मानी जाती हैं, और इन विशेष दिनों पर उनका अपमान करने से भगवान विष्णु नाराज हो सकते हैं। ऐसा करने से घर में शांति और सुख का अभाव हो सकता है। अगर तुलसी के पत्ते पूजा के लिए जरूरी हों, तो उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।
चंद्रमा का अपमान न करें
पूर्णिमा तिथि का गहरा संबंध चंद्रमा से होता है। इस दिन चंद्रमा को जल चढ़ाना और उनकी पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। चंद्रमा का अपमान करने, उनका मजाक उड़ाने या चंद्र दर्शन को नजरअंदाज करने से मानसिक और शारीरिक कष्ट बढ़ सकते हैं। ज्योतिष में चंद्रमा को मन और भावनाओं का कारक माना गया है, इसलिए उनकी पूजा से मनोबल और मानसिक शांति मिलती है।
मांसाहार से बचें
पूर्णिमा का दिन सात्विक जीवनशैली और शुद्ध विचारों का प्रतीक होता है। इस दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है, लेकिन यदि आप व्रत नहीं भी रख रहे हैं, तो मांसाहार से परहेज करें। मांसाहार करने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है और यह धार्मिक दृष्टि से भी अशुभ माना जाता है। सात्विक भोजन करने से मन शांत रहता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
झूठ न बोलें
पूर्णिमा के दिन सत्य बोलने और सत्य का पालन करने का विशेष महत्व है। इस दिन झूठ बोलने, धोखा देने या किसी को ठेस पहुंचाने से बचना चाहिए। ऐसा करने से आपके पुण्य कर्मों में कमी आ सकती है, और यह भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा से वंचित कर सकता है।
गंदगी न फैलाएं
पूर्णिमा के दिन घर और आस-पास का वातावरण साफ-सुथरा रखना बेहद जरूरी है। गंदगी फैलाना या सफाई न करना मां लक्ष्मी का अपमान माना जाता है। इस दिन अपने घर के पूजा स्थल को विशेष रूप से साफ करें और दीया जलाएं, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।
किसी का अपमान न करें
पूर्णिमा का दिन दूसरों के प्रति दया और सहानुभूति का भाव रखने का दिन है। इस दिन किसी का अपमान करने, गुस्सा करने या कठोर शब्द बोलने से बचें। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है और रिश्तों में दरार आ सकती है।
शाम के समय सोने से बचें
पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से शाम के समय सोना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से चंद्रमा की सकारात्मक ऊर्जा का लाभ नहीं मिलता और आलस्य बढ़ता है। इसके बजाय शाम के समय भगवान की आराधना करें और ध्यान लगाएं।
धर्म-कर्म में लापरवाही न करें
इस दिन धर्म-कर्म में लापरवाही करना अशुभ माना जाता है। पूजा-पाठ, ध्यान, व्रत, और दान करना इस दिन का मुख्य उद्देश्य होता है। इन कर्मों से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।
पैसों का गलत उपयोग न करें
पूर्णिमा के दिन पैसों का अपव्यय या गलत कार्यों में खर्च करना शुभ नहीं माना जाता। इस दिन धन का सही उपयोग करते हुए गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। यह पुण्य लाभ को बढ़ाता है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।
सूर्यास्त के बाद भोजन न करें
यदि संभव हो, तो इस दिन सूर्यास्त से पहले ही भोजन कर लें। पूर्णिमा के दिन व्रत रखने या सात्विक आहार लेने का नियम होता है। रात में भारी भोजन करने से शारीरिक और मानसिक ऊर्जा में कमी हो सकती है।
शराब और नशे से दूर रहें
पूर्णिमा जैसे पवित्र दिन पर शराब या किसी भी प्रकार के नशे का सेवन करना अत्यंत अशुभ माना जाता है। यह न केवल धर्म के खिलाफ है, बल्कि इससे आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
क्रोध न करें
इस दिन क्रोध करना और विवादों में उलझना शुभ नहीं माना जाता। यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और आपकी मानसिक शांति को भंग कर सकता है। शांत और सौम्य स्वभाव अपनाएं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें।
धार्मिक महत्व
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। इस दिन सत्यनारायण कथा सुनने और पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। मां अन्नपूर्णा की पूजा से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
इस पवित्र दिन को सही तरीके से मनाने और इन नियमों का पालन करने से व्यक्ति को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के इस शुभ अवसर पर इन बातों का खास ध्यान रखें।