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Navratri 2025: चैत्र, गुप्त और शारदीय नवरात्रि में क्या है अंतर, जानें यहां

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 31 Mar, 2025 01:50 PM
Navratri 2025: चैत्र, गुप्त और शारदीय नवरात्रि में क्या है अंतर, जानें यहां

नारी डेस्क: नवरात्रि हिन्दू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। इस दौरान 9 दिन का उपवास रखा जाता है और मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का पर्व साल में 4 बार आता है, लेकिन आमतौर पर लोगों को केवल शारदीय और चैत्र नवरात्रि के बारे में ही जानकारी होती है। जबकि इसके अलावा 2 गुप्त नवरात्रि भी होती हैं। इस लेख में हम आपको चैत्र, गुप्त और शारदीय नवरात्रि के बीच के अंतर को विस्तार से समझाएंगे।

चैत्र नवरात्रि

चैत्र नवरात्रि हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह नवरात्रि हिन्दू कैलेंडर के चैत्र माह में आती है, जो भारतीय नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन राम नवमी मनाई जाती है, क्योंकि यही दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इस दौरान साधना और ध्यान का विशेष महत्व होता है। चैत्र नवरात्रि में शक्ति और विष्णु दोनों की पूजा की जाती है। इसके साथ ही, चैत्र नवरात्रि के समय वसंत ऋतु का आगमन होता है, जिससे वातावरण में नयापन आता है।
उद्देश्य:चैत्र नवरात्रि का व्रत आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति और सिद्धि के लिए किया जाता है। यह व्रत मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति की ओर मार्गदर्शन करता है।

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शारदीय नवरात्रि

शारदीय नवरात्रि साल के मध्य में आती है और यह नवरात्रि बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। शारदीय नवरात्रि का सबसे बड़ा आकर्षण विजयादशमी या दशहरा होता है, जो इस नवरात्रि के अंतिम दिन मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि के समापन पर दुर्गा महानवमी होती है, और दूसरे दिन दशहरा या विजयादशमी मनाई जाती है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान शक्ति की पूजा होती है और विशेष रूप से सात्विक साधना, नृत्य और उत्सव आयोजित होते हैं। यह नवरात्रि सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए की जाती है। लोग इस दौरान अपनी सांसारिक इच्छाओं को पूरा करने के लिए मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। शारदीय नवरात्रि से सर्दियों की शुरुआत होती है, और यह पर्व विशेष रूप से पश्चिम बंगाल और गुजरात में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

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गुप्त नवरात्रि

गुप्त नवरात्रि अन्य नवरात्रियों से अलग होती है। इसमें सार्वजनिक पूजा और ध्यान का आयोजन नहीं होता, और इसे तांत्रिक समुदाय के लोग अधिक मानते हैं। गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से गुप्त विद्याओं की प्राप्ति के लिए की जाती है। इस दौरान दस देवियों की पूजा की जाती है, जिनके नाम इस प्रकार हैं: माता कालिका, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, माता मातंगी, और माता कमला देवी। गुप्त नवरात्रि तांत्रिक और अघोरी समुदाय में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह पूजा गुप्त विद्याओं की प्राप्ति के लिए की जाती है। इस नवरात्रि का उद्देश्य शक्तियों और गुप्त ज्ञान को प्राप्त करना होता है।
गुप्त नवरात्रि में निषेध: गुप्त नवरात्रि में गृहस्थों के लिए पूजा करना निषेध है। यह नवरात्रि विशेष रूप से साधकों और तांत्रिकों के लिए होती है। इसमें व्यक्तिगत साधना और ध्यान केंद्रित होता है, न कि सार्वजनिक पूजा।

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इन तीनों नवरात्रियों का अद्वितीय महत्व है और ये हर एक व्यक्ति को अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रेरित करती हैं।

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