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चैत्र नवरात्रि में कब है अष्टमी, जानें सही पूजा विधि और तिथि

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 26 Mar, 2025 04:49 PM
चैत्र नवरात्रि में कब है अष्टमी, जानें सही पूजा विधि और तिथि

नारी डेस्क: चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू हो रही है, जो हिन्दू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और देवी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस बार नवरात्रि 8 दिन की होगी, क्योंकि तिथियों में बदलाव हुआ है और अष्टमी तथा नवमी तिथि एक ही दिन होगी। आइए जानते हैं अष्टमी तिथि और पूजा विधि के बारे में विस्तार से।

अष्टमी तिथि कब से कब तक?

अष्टमी तिथि 4 अप्रैल रात 8 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी, और इसका समापन 5 अप्रैल रात 7 बजकर 26 मिनट पर होगा। हिन्दू धर्म में उदयातिथि का विशेष महत्व होता है। इस कारण अष्टमी 5 अप्रैल, शनिवार को मनाई जाएगी।

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अष्टमी पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें: अष्टमी पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय सबसे उत्तम होता है। इसलिए समय से उठकर स्नान करें और शरीर को शुद्ध करे। स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें ताकि पूजा में साफ-सफाई बनी रहे और सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।

व्रत का संकल्प लें: पूजा शुरू करने से पहले देवी दुर्गा का ध्यान करें और फिर व्रत का संकल्प लें। यह संकल्प आपकी भक्ति को मजबूत करता है।पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और वहां देवी दुर्गा की पूजा का स्थान तैयार करें।

दुर्गा सप्तशती और चालीसा का पाठ करें: अब आप दुर्गा सप्तशती और मां दुर्गा की चालीसा का पाठ करें। इससे देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। अब आप मां दुर्गा को ताजे फल, फूल और तिलक चढ़ाएं। यह उनकी कृपा प्राप्त करने का एक तरीका है। पूजा स्थल पर धूप बत्ती और घी का दीपक लगाएं। इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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आरती करें: अंत में कपूर और लौंग रखकर मां की आरती करें। यह पूजा का समापन होता है और देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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अष्टमी के विशेष मंत्र:

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
बीज मंत्र
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
पूजन मंत्र

श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव-प्रमोद-दा।।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।

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नवरात्रि में मां की सवारी

इस बार नवरात्रि में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी। यह विशेष रूप से शुभ माना जाता है। हाथी पर मां का सवार होना शांति और शुभता का प्रतीक होता है। साथ ही यह संकेत देता है कि इस नवरात्रि में खुशहाली और धन-धान्य की प्राप्ति हो सकती है।

मां दुर्गा की हाथी पर सवारी का मतलब है कि उनके साथ आशीर्वाद और समृद्धि आएगी। इसलिए इस साल नवरात्रि का पर्व विशेष रूप से सुख और समृद्धि से भरा हुआ हो सकता है।

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