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Navratri 2025: इस नवरात्रि भूलकर भी ना करें कोई भी शुभ काम, कलश स्थापना का जानिए शुभ मुहूर्त

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 28 Mar, 2025 09:03 PM
Navratri 2025: इस नवरात्रि भूलकर भी ना करें कोई भी शुभ काम, कलश स्थापना का जानिए शुभ मुहूर्त

नारी डेस्कः हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व है। नवरात्रि यानि की मां दुर्गा के नौ रूप। माता रानी के इन 9 पावन दिनों में लोग पूरी श्रद्धा भाव से मां दुर्गा के हर स्वरूप की पूजा करते हैं। साल में दो बार नवरात्रि आते हैं और इस बार 30 मार्च से चैत्र नवरात्रि  (Chaitra Navratri 2025) शुरू हो रहे हैं और 06 अप्रैल को खत्म होंगे। 

कलश व घट स्थापना का शुभ मुहूर्त (Ghatasthapana shubh muhurat 2025)

नवरात्रि के पहले दिन (प्रतिपदा तिथि) कलश स्थापना या घट स्थापना की जाती है। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त इस बार 30 मार्च के दिन सुबह 6:13 बजे से सुबह 10:22 बजे तक रहेगा। आप दोपहर 12:01 बजे से 12:50 बजे (अभिजीत मुहूर्त) के बीच भी घट स्थापना कर सकते हैं। 

कलश स्थापना विधि- (Kalashsthapana Vidhi)

मंदिर के उत्तर-पूर्व दिशा में कलश स्थापना करनी चाहिए। मंदिर की साफ-सफाई के बाद मां की चौकी लगाकर कलश को स्थापित किया जाता है। 

जिस जगह पर आपको कलश स्थापित करना है, वहां गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लें फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का स्वास्तिक बनाकर कलश स्थापित करें। 

कलश पर आम के पत्ते रखें और इसमें गंगाजल या जल भर दें। इस जल में आप सुपारी, कुछ सिक्के, हल्दी की गांठ, चावल, दूर्वा आदि डालें। 

कलश के मुख पर एक नारियल लाल वस्त्र या माता की चुनरी से लपेट कर रखें। 

चावल यानी अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। मां दुर्गा पर लाल या गुलाबी चुनरी ओढ़ा दें। बहुत से भक्त कलश स्थापना के साथ अखंड दीपक की स्थापना भी करते हैं।
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प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा और प्रिय भोग

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माता शैलपुत्री को उनके प्रिय  लाल रंग के फूल चढ़ाए जाते हैं। मां को गाय के घी और दूध से बना भोग अर्पित किया जाता है। आप माता कोगाय के दूध से बनी खीर का भोग लगा सकते है।

इस नवरात्रि ना करें खरीदारी और मांगलिक कार्य

नवरात्रि आने पर मांगलिक कार्य जैसे घर, शादी का मुहूर्त निकाला जाता है। नवरात्रि के शुभ दिनों में नई खरीदारी भी की जाती है लेकिन इस नवरात्रि कोई नई चीज खरीदने व मांगलिक कार्य ना करें। 

आचार्य रंजना के अनुसार, अगर आप इस नवरात्रि कुछ नया खरीदने की सोच रहे हैं या कोई मांगलिक कार्य की तैयारी कर रहे हैं तो भूलकर भी इस नवरात्रि ऐसा ना करें क्योंकि इस बार नवरात्रि अभी खरमास में आए हैं जिसमें शॉपिंग और मंगल कार्य करना वर्जित है। 
 

कब और कैसे लगता है खरमास? Kharmas Kya hai

खरमास तब लगता है जब सूर्य देव, धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं। यह एक महीने तक रहता है। खरमास को मलमास भी कहा जाता है। सर्य देव ने 14 मार्च को मीन में प्रवेश किया और 13 अप्रैल को सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करेंगे और उसके बाद मांगलिक कार्यों का समय शुरू हो जाएगा। ज्योतिष के मुताबिक, इस दौरान सूर्य का तेज कम हो जाता है इसलिए शुभ-मांगलिक काम करने की मनाही होती है।

खरमास से जुड़ी कुछ और बातें | Kharmas Mein Kya Nahin Karna Chahie

जानकारी के लिए बता दें कि खरमास भी साल में दो बार आता है। अंग्रेज़ी कैलेंडर के मुताबिक, एक खरमास मार्च से अप्रैल के बीच लगता है वहीं दूसरा खरमास दिसंबर से जनवरी के बीच लगता है। खरमास में सूर्य और बृहस्पति की अराधना विशेष फलदाई होती है। गुरुण पुराण के मुताबिक, सूर्य देव ने अपने रथ को खरों से खींचने के कारण ही इसे 'खर' मास कहा गया है। खरमास में स्नान, दान और पूजा-पाठ करना अच्छा माना जाता है। वहीं खरमास में प्राण त्यागने पर सद्गति नहीं मिलती। खरमास के दौरान शादी, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, और अन्य मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। इसी के साथ नया वाहन, घर या प्रॉपर्टी खरीदना या फिर नए काम की शुरुआत करना भी शुभ नहीं माना जाता।

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