
नारी डेस्क: चैत्र नवरात्रि एक विशेष समय होता है जब लोग मां दुर्गा की पूजा करते हैं और अपने घरों में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए विभिन्न धार्मिक परंपराओं का पालन करते हैं। इस दौरान तुलसी, शंख और कलश की पूजा का विशेष महत्व होता है, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनका वैज्ञानिक महत्व भी है।
तुलसी का महत्व
तुलसी को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। इसे माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और इसे घर में लगाने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। तुलसी को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रिय माना जाता है। नवरात्रि के दौरान तुलसी का पूजन विशेष लाभकारी माना जाता है। इसके पत्तों से देवी मां को भोग लगाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो वातावरण को शुद्ध करने में मदद करते हैं। यह हवन सामग्री में भी उपयोग की जाती है, जिससे वायु शुद्ध होती है और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

शंख का महत्व
शंख को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। शंख की ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण में सकारात्मकता आती है।शंख भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के समय शंख बजाने से देवी मां का आह्वान होता है और घर में शुद्धता और पवित्रता बनी रहती है। शंख बजाने से वातावरण में कंपन उत्पन्न होता है, जो हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस को नष्ट करता है। शंख की ध्वनि मानसिक तनाव को कम करने में भी सहायक होती है, जिससे ध्यान और एकाग्रता में वृद्धि होती है।

कलश का महत्व
कलश को शुभता और मंगल का प्रतीक माना जाता है। इसे देवी मां की पूजा में विशेष रूप से रखा जाता है और इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। कलश में देवताओं का निवास माना जाता है। इसे नवरात्रि के दौरान पूजन स्थल पर रखा जाता है, जिसमें आम के पत्ते और नारियल रखा जाता है, जो समृद्धि और सुख-शांति को दर्शाता है। कलश में जल भरकर रखने से वातावरण में नमी बनी रहती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वातावरण शुद्ध रहता है।

चैत्र नवरात्रि के दौरान तुलसी, शंख और कलश की पूजा से न केवल धार्मिक लाभ मिलता है, बल्कि ये हमारे घरों में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि भी लाते हैं। इनकी पूजा से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
नोट: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित है।