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Akshaya Tritiya 2025: कब खरीदें सोना और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त? जानिए पूरी जानकारी

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 20 Apr, 2025 03:36 PM
Akshaya Tritiya 2025: कब खरीदें सोना और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त? जानिए पूरी जानकारी

नारी डेस्क: इस साल अक्षय तृतीया का पर्व 30 अप्रैल 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। यह दिन हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है। यह दिन धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है। इसी कारण इसे "अखण्ड पुण्य" देने वाला दिन कहा गया है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है।

अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व

अक्षय तृतीया को ‘आखा तीज’ के नाम से भी जाना जाता है। "अक्षय" शब्द का अर्थ होता है जो कभी न घटे या समाप्त न हो। इस दिन किया गया दान, जप, तप, पूजन, खरीदारी आदि का फल कभी नष्ट नहीं होता। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी कार्य शुभ परिणाम देता है।

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा

अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु जी और माता लक्ष्मी जी की विशेष पूजा की जाती है। ऐसा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

अक्षय तृतीया 2025: पूजा और सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त

पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अप्रैल 2025 को सुबह 6:11 बजे से दोपहर 12:36 बजे तक इस दौरान पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। तृतीया तिथि शुरू: 29 अप्रैल को शाम 5:31 बजे, तृतीया तिथि समाप्त: 30 अप्रैल को दोपहर 2:12 बजे।

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सोना खरीदने का शुभ समय

29 अप्रैल को सोना खरीदने का शुभ समय: शाम 5:31 बजे से 30 अप्रैल की सुबह 6:11 बजे तक

30 अप्रैल को शुभ समय: सुबह 6:11 बजे से दोपहर 2:12 बजे तक इन दोनों समयों के बीच सोना खरीदना अत्यंत शुभ माना गया है।

अक्षय तृतीया पर क्या खरीदें?

अगर सोना नहीं खरीद सकते, तो ये चीजें खरीद सकते हैं

चांदी: समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है

कौड़ीव: धन और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए शुभ

मिट्टी का घड़ा या मटका: शीतलता और सकारात्मक ऊर्जा लाने वाला

जौ: खेती और समृद्धि का प्रतीक

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घर या वाहन:इस दिन खरीदा गया घर या वाहन शुभ फल देता है

इन वस्तुओं को घर लाना भी उतना ही फलदायी माना गया है जितना कि सोना खरीदना।

अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है?

यह दिन सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत का दिन माना जाता है। परशुराम जी का जन्म भी इसी दिन हुआ था। ऐसा भी कहा जाता है कि महाभारत का लेखन इसी दिन श्री व्यास जी ने शुरू किया था। कुबेर जी को इसी दिन से धनपालक का पद प्राप्त हुआ था। माता अन्नपूर्णा का अवतरण भी अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था। इन सभी कारणों से यह दिन अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है।

अक्षय तृतीया का पर्व सिर्फ खरीदारी या पूजन का दिन नहीं, बल्कि यह आत्मिक और सामाजिक पुण्य कमाने का अवसर भी है। इस दिन आप कोई भी शुभ कार्य करके, दान करके और प्रेम से दूसरों की मदद करके जीवन में अक्षय पुण्य और सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
 

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