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सोने-चांदी से भी कीमती है यहां की सिल्क साड़ियां, कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 07 Apr, 2025 05:28 PM
सोने-चांदी से भी कीमती है यहां की सिल्क साड़ियां, कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश

नारी डेस्क: भारत में सिल्क साड़ियों का क्रेज हमेशा से रहा है। खासकर त्योहारों, शादियों और पारंपरिक मौकों पर महिलाएं सिल्क साड़ियों को पहनना पसंद करती हैं। देश में कई राज्यों में सिल्क साड़ियों का उत्पादन होता है, लेकिन कर्नाटक इस मामले में सबसे आगे है। यह राज्य अपनी बेहतरीन सिल्क क्वालिटी, पारंपरिक कारीगरी और खूबसूरत डिजाइनों के लिए जाना जाता है। यहां की मैसूर सिल्क दुनियाभर में अपनी चमक और गुणवत्ता के लिए मशहूर है। आइए जानते हैं कि कर्नाटक भारत में सिल्क साड़ियों के उत्पादन में नंबर वन क्यों है।

कर्नाटक क्यों है सिल्क उत्पादन में नंबर वन?

कर्नाटक की जलवायु और मिट्टी सिल्क उत्पादन के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इस राज्य में सिल्क के कीड़ों को पालने और उनसे शुद्ध रेशम निकालने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है। खासतौर पर मैसूर और रामनगर जिले सिल्क उत्पादन के बड़े केंद्र हैं।

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अनुकूल जलवायु: कर्नाटक का तापमान और वातावरण सिल्क के कीड़ों की पैदावार के लिए आदर्श है।

तकनीकी उन्नति: यहां परंपरागत और आधुनिक तकनीकों के मेल से सिल्क का उत्पादन किया जाता है।

सदियों पुरानी विरासत: मैसूर सिल्क की पहचान ऐतिहासिक रूप से राजा-रजवाड़ों से जुड़ी रही है, जिससे इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।

मैसूर सिल्क की खासियत

मैसूर सिल्क अपनी बारीक बनावट, चमक और मजबूती के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस सिल्क की सबसे बड़ी खासियत इसमें इस्तेमाल होने वाला असली रेशम और शुद्ध सोने-चांदी की जरी का काम है।

चमकदार और टिकाऊ: इसकी चमक लंबे समय तक बरकरार रहती है और साड़ी जल्दी खराब नहीं होती।

हल्की और मुलायम: मैसूर सिल्क की साड़ियां पहनने में बेहद आरामदायक होती हैं।

शाही लुक: इन साड़ियों पर किए गए सोने और चांदी के जरी वर्क से यह बेहद रॉयल लुक देती हैं।

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सिल्क उद्योग बना रहा है लाखों लोगों की रोजी-रोटी

कर्नाटक में सिल्क उद्योग लाखों लोगों को रोजगार देता है। यह न केवल किसानों और बुनकरों के लिए आय का प्रमुख साधन है, बल्कि इस उद्योग में काम करने वाले शिल्पकार और डिजाइनर भी इससे जुड़कर अपनी आजीविका कमाते हैं।

किसानों को लाभ: सिल्क कीड़ों का पालन करने वाले किसानों को सरकार की ओर से सहायता दी जाती है।

बुनकरों की आजीविका: हाथ से बुनी हुई सिल्क साड़ियों की मांग ज्यादा होने से पारंपरिक बुनकरों को अच्छा रोजगार मिलता है।

निर्यात से कमाई: सिल्क साड़ियों की विदेशों में भारी मांग है, जिससे राज्य को अच्छी आय होती है।

भारत से विदेशों तक सिल्क साड़ियों की मांग

कर्नाटक की सिल्क साड़ियां भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों में भी काफी लोकप्रिय हैं। इनकी पारंपरिक कारीगरी और शुद्ध सिल्क की गुणवत्ता की वजह से ये महंगी होने के बावजूद खूब बिकती हैं।

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अमेरिका और यूरोप में लोकप्रियता: यहां भारतीय मूल के लोग इन्हें बड़े चाव से खरीदते हैं।

शाही वैभव का प्रतीक: इन साड़ियों को हाई-फैशन ब्रांड्स भी अपनाने लगे हैं।

ऑनलाइन मार्केटिंग: अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी इनकी बिक्री तेजी से बढ़ रही है।

सरकार की पहल और भविष्य की संभावनाएं

राज्य सरकार और कर्नाटक सिल्क बोर्ड इस उद्योग को और मजबूत करने के लिए नई तकनीकों और आधुनिक मशीनों का उपयोग बढ़ा रहे हैं। सरकार किसानों और बुनकरों को प्रशिक्षण देकर उनकी आमदनी बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
सिल्क उत्पादन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की योजना। बुनकरों और किसानों के लिए नई सरकारी योजनाएं। वैश्विक बाजार में भारतीय सिल्क को मजबूत बनाने का प्रयास।

भारत की सिल्क साड़ियों में कर्नाटक का योगदान सबसे अधिक है। यहां की मैसूर सिल्क न केवल अपनी गुणवत्ता के लिए जानी जाती है, बल्कि यह लाखों लोगों की आजीविका का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरकार के प्रयासों और बढ़ती वैश्विक मांग को देखते हुए, कर्नाटक का सिल्क उद्योग आने वाले समय में और ज्यादा विस्तार पा सकता है और दुनिया भर में भारतीय सिल्क का नाम रोशन करेगा।
 
 

 
 

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