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हर पुरुष अत्याचारी नहीं ... पत्नी ने कर दिया है दहेज का झूठा केस तो ये है बचने का तरीका !

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 12 Dec, 2024 03:09 PM
हर पुरुष अत्याचारी नहीं ... पत्नी ने कर दिया है दहेज का झूठा केस तो ये है बचने का तरीका !

भारत में  दहेज निषेध अधिनियम, 1961 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A दहेज के खिलाफ महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं। यह कानून महिलाओं को उत्पीड़न से बचाने के लिए है, खासकर शादी के बाद दहेज के कारण होने वाले मानसिक और शारीरिक शोषण से। हालांकि, इन कानूनों के दुरुपयोग की घटनाएं भी सामने आई हैं, जहां महिलाएं झूठे आरोप लगाकर पति और उनके परिवार को परेशान करती हैं।

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सुप्रीम कोर्ट भी चिंतित

बेंगलुरु के एक टेकी अतुल सुभाष के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। पत्नी द्वारा लगाए गए आरोपों से वह इस कदर परेशान हो गए कि उन्हें अपनी जान देनी पड़ी। उन्होंने 80 मिनट के रिकॉर्डेड वीडियो संदेश में पत्नी के अत्याचारों को बयां किया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर चिंता जताते हुए कहा कि दहेज उत्पीड़न के मामलों में अदालतों को कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। पति के सगे-संबंधियों को फंसाने की प्रवृत्ति को देखते हुए निर्दोष परिवार के सदस्यों को अनावश्यक परेशानी से बचाना चाहिए।


दहेज कानून के दुरुपयोग के संभावित कारण

 कुछ महिलाएं व्यक्तिगत बदले की भावना से झूठे आरोप लगाकर पति और ससुराल वालों पर केस दर्ज कराती हैं। कई बार ऐसे मामलों में पति और उनके परिवार को जेल तक जाना पड़ता है, भले ही आरोप झूठे हों। दहेज कानून का इस्तेमाल कई बार वित्तीय लाभ या संपत्ति हड़पने के लिए किया जाता है। झूठे केसों की वजह से परिवारों में तनाव बढ़ता है और कई बार रिश्ते पूरी तरह टूट जाते हैं। अतुल सुभाष के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था। 
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कानून के दुरुपयोग के दुष्प्रभाव


झूठे मामलों के कारण निर्दोष पति और उनके परिवार को मानसिक, शारीरिक, और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। दुरुपयोग के मामलों की वजह से कानून की विश्वसनीयता कम होती है, जिससे असली पीड़ित महिलाओं को न्याय पाने में मुश्किल हो सकती है। ऐसे झूठे आरोपों से विवाह जैसे पवित्र रिश्ते में विश्वास कमजोर होता है। हालांकि हर बार महिला पक्ष ही गलत नहीं होता कई बार पुरुष के परिवार द्वारा भी कई तरह के अत्याचार किए जाते हैं। 
 

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

 सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि झूठे मामलों से बचने के लिए पुलिस को तुरंत गिरफ्तारी करने के बजाय मामले की गहराई से जांच करनी चाहिए। न्यायालय ने यह सुनिश्चित किया है कि 498A के मामलों में गिरफ्तारी से पहले एक फैमिली वेलफेयर कमेटी द्वारा केस की जांच की जाए। दहेज कानून महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बेहद जरूरी हैं, लेकिन इनका दुरुपयोग न केवल निर्दोष लोगों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि असली पीड़ितों के लिए भी मुश्किलें पैदा करता है। इस मुद्दे को हल करने के लिए न्यायपालिका, समाज, और सरकार को मिलकर प्रयास करने होंगे।

 

झूठे केस से बचने के तरीके

दहेज के झूठे केस से बचने के लिए पति और उसके परिवार को सावधानीपूर्वक कानूनी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए और अपने बचाव के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। पहले किसी अनुभवी क्रिमिनल लॉयर से तुरंत संपर्क करें। वकील आपके केस का सही दिशा में बचाव करने में मदद करेंगे। वकील आपको एफआईआर दर्ज होने के बाद के उचित कदमों की जानकारी देंगे। दहेज के झूठे केस की जांच के लिए एफआईआर की कॉपी का अध्ययन करें।यदि एफआईआर में झूठे आरोप हैं, तो उनके खिलाफ सबूत इकट्ठा करें। अपने बचाव में सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स और सबूत तैयार करें, जैसे:  - शादी के बाद के खर्चों के रिकॉर्ड,  किसी भी तरह की लेन-देन या गिफ्ट का दस्तावेज, दहेज से संबंधित कोई बातचीत (यदि रिकॉर्डेड हो)। गवाहों का बयान, जो आपके पक्ष में हो सकते हैं।

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अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) लें

यदि एफआईआर दर्ज हो चुकी है, तो आप और आपके परिवार के लिए अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) लेना आवश्यक है। यह गिरफ्तारी से बचने में मदद करेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, कुछ मामलों में गिरफ्तारी से पहले फैमिली वेलफेयर कमेटी द्वारा केस की जांच की जाती है। आप कमेटी के सामने अपनी बात सही तरीके से रखें। यदि एफआईआर में गंभीर त्रुटियां हैं, तो आप आईपीसी की धारा 482 के तहत हाईकोर्ट में केस खारिज करने के लिए याचिका दाखिल कर सकते हैं।


सोशल मीडिया और पब्लिक प्लेटफॉर्म पर संयम रखें

अपनी परेशानी को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने से बचें, क्योंकि इससे आपके खिलाफ सबूत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। झूठे केस के दौरान मानसिक दबाव बढ़ सकता है। परिवार और दोस्तों का समर्थन लें और यदि जरूरत हो, तो काउंसलिंग का सहारा लें। झूठे दहेज के मामलों से बचने के लिए तुरंत कानूनी सलाह लेना और सबूत जुटाना आवश्यक है। संयम और सही प्रक्रिया के साथ, आप अपनी बेगुनाही साबित कर सकते हैं। दहेज के झूठे केस से निपटने के लिए कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनका सही तरीके से उपयोग किया जा सकता है।

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