नारी डेस्क: आज दुनिया भर में विश्व साड़ी दिवस 2024 (World Saree Day) मनाया जा रहा है। यह दिन हर साल 21 दिसंबर को भारतीय संस्कृति की इस खूबसूरत परंपरा साड़ी को सम्मानित करने और इसके महत्व को याद दिलाने के लिए मनाया जाता है। भारत में साड़ी न केवल एक वस्त्र है, बल्कि यह हमारी परंपरा, विविधता, और कला का प्रतीक भी है। भारत में साड़ियों की विविधता अद्भुत है, यहां हर राज्य की अपनी अनोखी शैली और बुनाई की विधि है। आइए जानें भारत में साड़ियों के कुछ प्रमुख प्रकारों के बारे में
उत्तर भारत की साड़ियां
बनारसी साड़ी (उत्तर प्रदेश): बनारस की प्रसिद्ध सिल्क साड़ी की दुनिया दिवानी है। शादी और खास मौकों पर ज़री, रेशम और जटिल बुनाई वाली साड़ियां पहनी जाती हैं।
चिकनकारी साड़ी (लखनऊ, उत्तर प्रदेश): हाथ से की गई कढ़ाई वाली हल्की और सुंदर चिकनकारी साड़ियों की यहां भरमार है। यह गर्मियों में पहनने के लिए उपयुक्त।
भाडोई साड़ी (उत्तर प्रदेश): बनारसी साड़ी की तरह लेकिन सरल डिज़ाइन और पैटर्न में यह साड़ी मिलती है।
पूर्व भारत की साड़ियां
तांत साड़ी (पश्चिम बंगाल): ये सूती साड़ी गर्मियों में आरामदायक होती है। इसमें हल्की और साधारण डिज़ाइन मिल जाते हैं।
बालूचरी साड़ी (पश्चिम बंगाल): महाभारत और रामायण के दृश्यों से सजी ये साड़ियां पारंपरिक कथा को चित्रित करती है।
मेखला चादर (असम): रेशम से बनी ये साड़ी असम की पारंपरिक पोशाक है।
दक्षिण भारत की साड़ियां
कांचीपुरम साड़ी (तमिलनाडु): रेशमी और भारी ज़री डिज़ाइन के लिए मशहूर कांचीपुरम साड़ी शादियों और त्योहारों पर पहनी जाती है। बॉलीवुड हसीनाएं इस साड़ी को खूब पसंद करती हैं।
चेत्तीनाड साड़ी (तमिलनाडु): मोटे कपड़े से बनी ये साड़ी पारंपरिक और टिकाऊ होती है।
कासवु साड़ी (केरल): सफेद और सुनहरे बॉर्डर वाली पारंपरिक साड़ी ओणम और शादी जैसे मौकों पर पहनी जाती है।
पश्चिम भारत की साड़ियां
बांधनी साड़ी (राजस्थान और गुजरात): बंधेज (टाई और डाई) तकनीक से बनाई गई साड़ी महिलाओं को बेहद पसंद आती है। इसमें रंगों और डिजाइन की भरमार है।
पैठणी साड़ी (महाराष्ट्र): हाथ से बुनी गई, जटिल डिज़ाइन वाली इस रेशमी साड़ी को क्वीन ऑफ सिल्क" भी कहा जाता है।
नववारी साड़ी (महाराष्ट्र): नौ गज लंबी साड़ी पारंपरिक महाराष्ट्रीयन ब्राह्मणी स्टाइल है।
मध्य भारत की साड़ियां
महेश्वरी साड़ी (मध्य प्रदेश): हल्की रेशमी और सूती मिश्रित साड़ी पारंपरिक लेकिन आधुनिक पैटर्न में मिल जाती है।
चंदेरी साड़ी (मध्य प्रदेश): पारदर्शी और हल्के कपड़े की यह साड़ी अपनी बारीक कढ़ाई के लिए प्रसिद्ध है।
पूर्वोत्तर भारत की साड़ियां
मोगा सिल्क साड़ी (असम): असम का प्रसिद्ध मोगा सिल्क साड़ी टिकाऊ और प्राकृतिक रंगों से बनती है।
रियांग साड़ी (त्रिपुरा): पूर्वोत्तर की जनजातीय शैली में बनी साड़ी।
साड़ी का महत्व
यह भारतीय संस्कृति और परंपरा की पहचान है। शादी, त्योहार, और पूजा जैसे खास मौकों पर साड़ी पहनना शुभ माना जाता है। यह भारत की हथकरघा और बुनाई उद्योग का समर्थन करती है। साड़ी दिवस का उद्देश्य इस अनमोल परिधान को विश्व स्तर पर प्रचारित करना और इसे गर्व के साथ पहनने के लिए प्रेरित करना है।