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कार्तिक माह में तुलसी पूजा का महत्व, इस मंत्र जाप से प्रसन्न होंगे श्रीहरि

  • Edited By neetu,
  • Updated: 07 Nov, 2021 04:26 PM
कार्तिक माह में तुलसी पूजा का महत्व, इस मंत्र जाप से प्रसन्न होंगे श्रीहरि

हिंदू धर्म में तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। तुलसी जी के पौधे को धन की देवी लक्ष्मी जी का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक कथाओं अनुसार तुलसी का पौधा जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी को अतिप्रिय है। मान्यता है कि श्रीहरि की पूजा में तुलसी चढ़ाने से उनकी जल्दी ही कृपा होती है। वहीं कार्तिक मास की  देवउठानी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी 4 महीनों के बाद योग निद्रा से जागते हैं। ऐसे में इस दौरान तुलसी पूजा करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस पावन मास में तुलसी पूजा करने से मनचाहा फल और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

तुलसी पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यताओं अनुसार घर पर तुलसी का पौधा होना शुभ होता है। कहा जाता है कि जिन घरों में तुलसी का पौधा हो वहां पर देवी-देवता वास करते हैं। रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पौधे को पानी देने व हाथ लगाने से बचना चाहिए। कार्तिक मास में खासतौर पर तुलसी पौधे के आगे दीपक जलाना, जल चढ़ाना, पूजा-पाठ करने से शुभफल की प्राप्ति होती है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही घर में अन्न व धन की बरकत बनी रहती है। इसके साथ ही तुलसी जी के मंत्र का जप करना भी शुभ माना जाता है।

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तुलसी मंत्र

तुलसी के पत्तों को छूते हुए 'महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते' मंत्र का जप करें। मान्यता है कि इस मंत्र का जप करने से जीवन की समस्त समस्याएं दूर होकर मनचाहा फल मिलता है। आप इस मंत्र का जाप 3, 5, 7, 11 बार कर सकते हैं।


तुलसी मंत्र पढ़ने से पहले इन बातों का रखें खास ध्यान

 

पहले करें ईष्टदेव की पूजा

तुलसी मंत्र का जप करने से पहले अपने ईष्टदेव की पूजा करें। उसके बाद ही तुलसी पौधे के पास आकर मंत्र जप करें।

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तुलसी जी को करें प्रणाम

मंत्र का जप शुरु करने से पहले पौधे के पास आकर तुलसी माता को प्रणाम करें। पौधे पर शुद्ध जल चढ़ाएं।

तुलसी जी का श्रृंगार करें

इसके बाद हल्दी और सिंदूर चढ़ाकर तुलसी जी का श्रृंगार करें। तुलसी पौधे के आगे घी का दीपक जलाएं। साथ ही धूप, अगरबत्ती दिखाएं।

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तुलसी जी की 7 बार परिक्रमा करें

श्रृंगार के बाद तुलसी जी के पौधे की 7 बार परिक्रमा करें। उसके बाद ही मंत्र का पूरी लगन व श्रद्धा से जप करें। मंत्र उच्चारण करने के बाद तुलसी जी के पौधे को छूकर अपनी मनोकामना कहें।

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