कोरोना वायरस से बचने के लिए आयुष मंत्रालय ने लोगों कोआयुर्वेदिक काढ़ा पीने की सलाह दी थी। देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कई बार अपने भाषण में आयुष मंत्रालय द्वावा बताए गए काढ़ा पीने को कहा। इसमें कोई शक नहीं कि आयुर्वेदिक काढ़ा पीने से इम्युनिटी बढ़ती है लेकिन जहां हर चीज का एक फायदा होता है वहीं उसके कुछ नुकसान भी होते हैं। जी हां, आयुर्वेदिक औषधियों से बना यह काढ़ा सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है।
क्यों हानिकारक है आयुर्वेदिक काढ़ा?
दरअसल, कोई भी आयुर्वेदिक औषधि मौसम, प्रकृति, उम्र व स्थिति देखकर दी जाती है। मगर, इन दिनों लोग कोई भी 4-5 चीजें जैसे - काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी, पीपली, गिलोय, हल्दी, अश्वगंधा मिलाकर काढ़ा बनाकर पी रहे हैं। ऐसे में अगर तासीर के हिसाब से काढ़े का गलत सेवन किया गया तो ये हानिकारक भी हो सकता है।
काढ़ा पीने के बाद दिखें ये लक्षण तो तुरंत करें बंद
काढ़ा पीने के बाद अगर नाक से खून आना, मुंह में छाले, पेट में जलन या दर्द, पेशाब में जलन, अपच और पेचिश की समस्या दिखे तो उसे इसका सेवन बंद कर दें।
गर्मियों के लिए है हानिकारक
अगर कोई व्यक्ति बिना लिमिट बेहिसाब काढ़ा पी रहा है तो उसके शरीर में गर्मी बढ़ सकती है। चूंकि आजकल गर्मियों का मौसम है इसलिए गर्म तासीर वाले काढ़े से नुकसान की संभावना बहुत ज्यादा है।
ध्यान में रखें ये बातें
. ध्यान रखें कि आप औषधियों की बताई गई मात्रा ही काढ़ा बनाते समय डालें।
. काढ़े में सोंठ, काली मिर्च, अश्वगंधा व दालचीनी की मात्रा कम रखें। इसकी बजाए गिलोय, मुलेठी व इलायची की मात्रा बढ़ा दें।
. अगर आपको पहले से कोई बीमारी है एक्सपर्ट से सलाह लिए बिना काढे़ का सेवन ना करें।।
वात और पित्त दोष वाले रखें ध्यान
आमतौर पर काढ़ा कफ को ठीक करता है लेकिन जिन लोगों को वात या पित्त दोष है उन्हें काढ़ा पीते समय सावधानी बरतनी चाहिए। कोशिश करें कि आपके काढ़े में ठंडी तासीर वाली चीजें शामिल हो। साथ ही काढ़े को बहुत अधिक न पकाएं। आजकल बाजार में त्रिकुट काढ़ा खूब बिक रहा है। काढ़ा बनाते समय त्रिकुट पाउडर को 5 ग्राम से ज्यादा न डालें।