ऑटोइम्यून बीमारी (Autoimmune Disease) ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम खुद ही अपने स्वस्थ कोशिकाओं और अंगों पर हमला करने लगता है। आश्चर्य की बात यह है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में ऑटोइम्यून बीमारियों का 3 से 4 गुना ज्यादा शिकार होती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, दुनियाभर में ऑटोइम्यून बीमारियों के लगभग 70 प्रतिशत मरीज महिलाएं हैं। यह आंकड़ा बताता है कि महिलाओं में यह समस्या पुरुषों की तुलना में कई गुना अधिक पाई जाती है।
यह भी पढ़ें:
महिलाएं ऑटोइम्यून बीमारियों का ज्यादा शिकार क्यों होती हैं?
हार्मोनल बदलाव (Hormonal Changes) : महिलाओं में एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) जैसे हार्मोन अधिक होते हैं। ये हार्मोन इम्यून सिस्टम पर गहरा प्रभाव डालते हैं। किशोरावस्था, पीरियड्स, प्रेगनेंसी, डिलीवरी, मेनोपॉज इन सभी चरणों में हार्मोन में बड़े बदलाव आते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम अस्थिर हो सकता है और ऑटोइम्यून रोग का खतरा बढ़ता है।
X क्रोमोसोम की भूमिका: महिलाओं के पास दो X chromosomes (XX)होते हैं, जबकि पुरुषों के पास एक (XY) X क्रोमोसोम में **इम्यून सिस्टम के कई जीन होते हैं। दो X chromosomes होने से इम्यून सिस्टम ज्यादा "एक्टिव" रहता है। यही ज्यादा एक्टिव इम्यून सिस्टम कई बार गलती से खुद पर हमला कर देता है। जिससे ऑटोइम्यून बीमारी का खतरा बढ़ता है।
गर्भावस्था और प्रसव (Pregnancy & Postpartum Impact): बहुत सी महिलाएं पहली बार ऑटोइम्यून बीमारी को प्रेगनेंसी के दौरान या डिलीवरी के बाद महसूस करती हैं। क्योंकि इन स्थितियों में हार्मोनल बदलाव, शारीरिक तनाव इम्यून सिस्टम में उतार-चढ़ाव सब साथ में मिलकर बीमारी को ट्रिगर कर सकते हैं।
तनाव (Stress): महिलाओं पर समाज में घर, करियर, परिवार की दोहरी जिम्मेदारी होती है। क्रॉनिक स्ट्रेस इम्यून सिस्टम को ओवरलोड करके ऑटोइम्यून बीमारी को सक्रिय कर सकता है।
पर्यावरणीय कारण (Environmental Factors): महिलाएं अक्सर घरेलू केमिकल्स, कॉस्मेटिक्स, परफ्यूम, सफाई उत्पाद से ज्यादा संपर्क में आती हैं।। इनमें मौजूद टॉक्सिन्स भी ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकते हैं।
कौन-सी ऑटोइम्यून बीमारियां महिलाओं में अधिक होती हैं?
- हाइपोथायरॉयड / हाइपरथायरॉयड
-हाशिमोटो थायरॉयडाइटिस
- ल्यूपस (SLE)
- रुमेटॉइड आर्थराइटिस
- सोरायसिस
- मल्टीपल स्क्लेरोसिस
- विटिलिगो
- सीलिएक रोग
- टाइप-1 डायबिटीज़
महिलाओं के लिए सावधानियां
-हार्मोनल हेल्थ की नियमित जांच: TSH, T3, T4, Anti-TPO, Vitamin D
-तनाव कम करना: योग, ध्यान, नींद, मेहंदी, मूवमेंट
- संतुलित आहार: एंटी-इन्फ्लेमेटरी फूड्स जैसे हल्दी,अदरक, ओमेगा-3, हरी सब्जियां, मिलेट्स डाइट में ऐड करें।
संक्रमण से बचाव: क्योंकि संक्रमण ऑटोइम्यून ट्रिगर कर सकता है।