बदलती जीवनशैली में पिछले कुछ समय में तेजी से बीमारियां फैल रही हैं। खासकर के मेंटल हेल्थ से जुड़ी बीमारियां। मेंटल हेल्थ के बारे में लोगों के बीच बहुत ही कम जागरूकता है, जिस वजह से दुनियाभर में ऑटिज्म जैसी बीमारी का कहर बढ़ गया है। लोगों को इस बीमारी के बारे में ज्यादा पता नहीं है हालांकि इसके लक्षण बचपन से दिखने लगते हैं। ये ही वजह है कि इस बीमारी को लेकर लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलने के लिए हर साल 2 अप्रैल को World Autism Awareness Day मनाया जाता है।
आइए आपको बताते हैं आखिर क्या है ऑटिज्म , इसके लक्षण, कारण और इलाज।
क्या है ऑटिज्म
ऑटिज्म एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। आम भाषा में कहा जाए तो ये एक ऐसी बीमारी से जिसमें व्यक्ति के दिमाग का विकास कम होता है। ऐसे में व्यक्ति के व्यवहार, सोचने- समझने की क्षमता आम लोगों को मुकाबले में कम होती है। इस बीमारी के लक्षण कम उम्र से ही दिखने लग जाते हैं। ऑटिज्म 3 तरह का होता है। अस्पेर्गेर सिंड्रोम, परवेसिव डेवलपमेंट और क्लॉसिक ऑट।
ऑटिज्म के लक्षण
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो तो छोटे बच्चे में ऑटिज्म के लक्षण जन्म के 12 से 18 हफ्तों के अंदर नजर आने लगते हैं। कुछ मामलों में तो ऑटिज्म ठीक भी हो जाता है, वहीं कई लोगों के लिए ये बीमारी पूरी जिंदगी भर रहती है। आइए आपको बताते हैं इसके लक्षण...
- बच्चों का देर से बोलना।
-एक ही शब्द को बार- बार दोहराना।
- किसी के बोलने पर जवाब न देना।
- ज्यादा समय अकेले रहना।
- आंखें मिलाकर बात न करना।
-एक ही चीज बार- बार करना।
- सामने वाले व्यक्ति की भावना को न समझना।
-सवालों के जवाब ठीक से न देना पाना।
ऑटिज्म का कारण
वैसे तो ऑटिज्म के सही कारणों का कभी तक पूरी तरह से पता नहीं है, पर कई सारी स्टडी में ये बात सामने आई है कि ये बीमारी Heredity हो सकती हैं। इसके अलावा कई बार लेट प्रेग्नेंसी के मामलों में भी बच्चे को ऑटिज्म जैसी बीमारी हो सकती है। वहीं, Premature Delivery और जन्म के समय बच्चे का कम वेट से भी ये समस्या आ सकती है।
क्या ऑटिज्म का इलाज है संभव
फिलहाल ऑटिज्म जैसी बीमारी का कोई भी क्लीनिकल ट्रीटमेंट तो नहीं है। लेकिन इसे एंटीसाइकोटिक या एंटी-एंग्जायटी दवाएं, थेरेपी के जरिए ठीक किया जा सकता है। एजुकेशनल प्रोग्राम और बिहेवियरल थैरेपी भी इस मामले में मददगार है और इसने कई लोगों ने जिंदगी बदली है। ऑटिज्म के हर मामले में एक अलग तरह की थेरेपी की जरूरत होती है। अगर आपके परिवार में किसी को यह बीमारी है, तो डॉक्टर से संपर्क करें और खुद से कोई दवा न लें।