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वर्किंग वूमैन को सुपर वूमैन बनने की जरूरत क्यों महसूस होती है?

  • Updated: 08 Feb, 2014 08:32 AM
वर्किंग वूमैन को सुपर वूमैन बनने की जरूरत क्यों महसूस होती है?

यह सच है कि एक कामकाजी महिला को घर और आफिस दोनों की जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं। जहां एक तरफ उस पर अपने कार्यक्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ बनने का दबाव रहता है, वहीं दूसरी तरफ अपने परिवार को, अपने बच्चों को पर्याप्त समय न दे पाने का अपराधबोध अंदर ही अंदर उसे कचोटता रहता है। आफिस और घर दोनों जगह अपना सौ फीसदी देने की कोशिश में वह तनाव की शिकार हो जाती है, फिर भी सेहत के साथ समझौता करके वह आगे बढऩे में जुटी रहती हैं।

हम बेशक आज महिलाओं को पुरुषों की बराबरी का दर्जा देते हैं लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं है। आज भी बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक और रसोई की जिम्मेदारियां उन्हें ही निभानी पड़ती हैं। आफिस से थकी-हारी आई पत्नी का घर के कामों में हाथ बंटाना पति अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। हालांकि कुछ पति होते हैं जो कुछ कामों में पत्नी की मदद करके सच में उन्हें सुपर वूमैन का एहसास कराते हैं लेकिन ऐसे समझदार पतियों की संख्या बहुत कम है।

इक्कीसवीं सदी के पतियों को वर्किंग पत्नी तो चाहिए लेकिन वह भी अपनी शर्तों पर यानी पत्नी की सैलरी उनसे ज्यादा न हो। आज महिलाएं चाहे छोटी-मोटी नौकरी करती हों या कम्पनी के बड़े ओहदे पर हों, उन्हें घर पहुंच कर गृहिणी की भूमिका में आना ही पड़ता है। मल्टी टास्किंग के नाम पर उन्हें बड़े प्यार से हर काम की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। वह स्वयं ही सब की कसौटी पर खरा उतरने के प्रयास में अपनी सेहत का ध्यान नहीं रख पाती। सवाल यह उठता है कि आखिर महिलाओं को ही सुपर वूमैन बनने की जरूरत क्यों महसूस होती है? पुरुष क्यों नहीं सुपरमैन बन जाते? हमेशा खुद को महिलाओं से श्रेष्ठ समझने वाले पुरुष क्यों नहीं उनसे मल्टी टास्किंग का गुण सीख कर उनकी तरह दोहरी-तिहरी जिम्मेदारी निभाते?

क्या करें वर्किंग वूमैन
1 घर और ऑफिस के कामों से थकावट महसूस करती हैं तो पारिवारिक सदस्यों से मदद ले सकती हैं।
 
2 अपने पारिवारिक सदस्यों की सेहत के साथ-साथ अपनी सेहत का भी ध्यान रखें। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही आपको कई शारीरिक समस्याओं की गिरफ्त में ला सकती है।

3 जब भी आपको गुस्सा आए और अपनी बात किसी से कह न पाएं तो अपने मन के गुबार को एक डायरी में लिख कर मन को हल्का कर लें। सच में आप अपने भीतर एक सुकून महसूस करेंगी।

4 तनाव की अवस्था में शरीर में काफी एसिड बनने लगता है जो त्वचा पर विपरीत प्रभाव डालता है और त्वचा नमी खोकर ड्राई होने लगती है। नैगेटिव सोच से हार्मोंस का संतुलन बिगडऩे लगता है जिससे बुढ़ापा जल्दी आने लगता है। अत: स्वस्थ रहने के लिए स्ट्रैस से दूर रहें। पूरी नींद लें और काम से संबंधित किसी भी समस्या को बोझ की तरह न लें।

5 महीने में दो बार ब्यूटी पार्लर अवश्य जाएं। मसाज कराएं ताकि आपका शारीरिक तनाव कम हो और आपको आराम मिले। इसके अतिरिक्त फेशियल, पैडीक्योर, मैनीक्योर, थ्रैडिंग और बालों की कटिंग करवाएं। अपने लिए शॉपिंग करें व वीकएंड पर मूवी देखने या पिकनिक पर जाएं।

                                                                                                                                                                                 —सरिता शर्मा

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