बच्चे बेहद ही प्यार होते हैं। उनकी वो बड़ी- बड़ी आंखे, नन्हीं उंगलियां, सॉफ्ट स्किन और गोलू- मोलू से गाल किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। लाड में पैरेट्स या कोई दूसरा शख्स भी बच्चे को बार- बार गोद में उठाता और किस करता है। आप तो उन्हें प्यार कर रहे हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ये बच्चे से नुकसान पहुंचा सकता है। जी हां, ये आदत बच्चे की सेहत के लिए बुरी साबित हो सकती है। आइए आपको बताते हैं कैसे?
फैल सकते हैं कीटाणु
कीटाणुओं के फैलने का सबसे आम तरीका होता है शारीरिक संपर्क और छोटे बच्चों को इम्यूनिटी कमजोर होती है। वो आसानी से कीटाणु की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए छोटे बच्चों को कीटाणुओं को बचाने का सबसे अच्छा तरीका है कि उन्हें बेवजह ज्यादा छुएं या किस न करें।
सांस की बीमारी का खतरा
छोटे बच्चों की रेस्पिरेटरी सिस्टम भी अविकसित और कमजोर होता है तो ऐसे में फेफड़ों को पूरी तरह से विकसित होने के करीब 8 साल का समय लगता है। इसलिए बच्चों के होंठ पर किस करते हुए कोई वायरस फेफड़ों में चला जाए तो ज्यादा किस करने से परहेज करें।
रैशेज
बच्चों की स्किन बहुत ही कोमल और सेंसिटिव होती है तो ऐसे में अगर आपने चेहरे पर मेकअप या कोई प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया है तो बच्चे के संपर्क में आने से बचें। प्रोडक्ट में मौजूद केमिकल से बच्चों की स्किन पर रैशेज या रेडनेस जैसी समस्या हो सकती है।
मुंह के छाले
उन्हें मुंह पर छाले भी हो सकती हैं। जी हां, ये हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस टाअप 1 होता है, जिसमें मुंह या होंठ पर किस करने से वहां छोटा फफोला हो जाता है। धीरे- धीरे ये चेहरे के दूसरे हिस्से जैसे नाक और गाल पर भी फैल सकता है।
किसिंग डिसीज
कई लोगों ने इसका नाम पहली बार सुना होगा। किसिंग डिसीज को मेडकिल भाषा में मोनोन्यूक्लिओसिस कहते हैं। किस करते समय मुंह का सलाइवा जाने से हो सकता है। इस बीमारी की वजह से बच्चों को चिड़चिड़ापन, बहती नाक और सांस से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं।
नोट- बच्चे पर प्यार तो आता ही है। आप हर समय खुद को किस करने से रोक नहीं सकते है। इसलिए बच्चे को किस करते समय साफ- सफाई और हाइजीन का खास ध्यान रखें। एक्सपर्ट्स का कहना है कि किसिंग के अलावा बच्चों से बॉन्ड बनाने के लिए उन्हें लोरी भी गा सकते हैं। बच्चे जब 3 महीवे का हो जाए तब आप उन्हें धीरे- धीरे किस करना शुरू कर सकते हैं।