भगवान गणेश जी ही हमारा हर कार्य सिद्ध करते हैं। इनके बिना किसी शुभ काम की शुरुआत भी नहीं की जाती। कहते हैं की जो भक्त उन्हें सच्चे मन से पूजता है उसके जीवन में कभी किसी भी तरह का कोई कष्ट नहीं आता। ऐसे में कई बार देखा गया है की अक्सर लोगों को गणपति जी की मूर्ति या तस्वीर मुख्य दरवाजों पर लगाते हैं। आपको बता दें की वास्तु शास्त्र के में इसका खास महत्व बताया गया है लेकिन क्या आप ये जानते हैं की दरवाजे पर गणेश जी की प्रतिमा लगाने के भी कुछ नियम हैं जिनका पालन करना बेहद जरूरी माना गया है। क्यूंकि ऐसा ना करने पर हमारे जीवन में कई तरह की परेशानियां हमें घेर सकती हैं। चलिए जानते है विस्तार से-
प्रतिमा की दिशा
वास्तु में दिशा का बहुत महत्व है।इसके लिए आपके घर के मुख्य दरवाजे का मुंह उत्तर या दक्षिण दिशा में होना चाहिए। लेकिन अगर आपका मुख्य दरवाजे का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में है तो वहां गणेश प्रतिमा नहीं लगानी चाहिए।
कैसे लगाएं गणेश जी की प्रतिमा?
गणेश जी की प्रतिमा लगा रहे हैं तो अंदर भी उनकी स्थापना करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि प्रतिमा का मुख अंदर की तरफ होना चाहिए। इसके लिए पश्चिम उत्तर और पूर्वोत्तर दिशा ही बेहतर है।
दरवाजे पर किस रंग के गणेश जी हो?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, परिवार की तरक्की चाहते हैं तो सिंदूरी अथवा सफ़ेद रंग के गणेश जी विराजित करने चाहिए। ऐसा करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
गणेश जी की सूंड
घर के मुख्य दरवाजे पर गणेश जी की प्रतिमा लगाने से पहले भगवान की सूंड की दिशा अवश्य देखें। इस स्थिति में गणपति बप्पा की सूंड बायीं तरफ मुड़ी होनी चाहिए। दाईं तरफ मुड़ने वाली सूंड घर के अंदर शुभ है, लेकिन घर के मुख्य दरवाजे पर बायीं तरफ सूंड ही शुभ रहती है।
गणेश जी की मुद्रा
गणेश जी की प्रतिमा बैठी हुई मुद्रा में होनी चाहिए। घर के दरवाजे के बाहर खड़ी हुई मुद्रा वाली गणेश प्रतिमा लगाना शुभ फल नहीं देता हैं।