पैरेंट्स बनना आसान काम नहीं है। एक बच्चे की परवरशि करना एक मिट्टी के बर्तन को बनाने के सामान है। छोटे बच्चे चिकनी मिट्टी की तरह होते हैं, आप बचपन में उन्हें जैसा ढाल देंगे बड़े होकर वैसे ही बन जाएंगे। अगर आप उनकी परवरिश में थोड़ी से भी लापरवाही की तो उनमें बुरी आदतें भी आ सकती हैं। खासकर आजकल के वर्किंग पैरेंट्स को तो अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताना चाहिए, ताकि वो उनको न सिर्फ बढ़ा होते देखें, बल्कि उनमें अच्छी आदतें भी डालें, ताकि वो भविष्य में अच्छा इंसान बनें। शाहिद इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। बिजी वर्किंग पैरेंट्स होते हुए भी वो अपने बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ रहे। मीरा खुद बताती हैं कि कैसे शाहिद एक बेहतरीन सुपरडैड हैं...
हर मांग पूरी न करना
आपका बच्चा क्या चाहता है, उनकी hobbies क्या है, ये जानने की कोशिश करें। जिस चीज में उनकी रुचि है, उसी चीज में उनको बढ़ावा दें। एक इंटरव्यू के दौरान मीरा ने कहा था कि शाहिद बेटी मीशा की हर मांग को पूरा करते हैं। हालांकि वो अपनी बेटी को बुरी आदतों से दूर रखना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि मीशा हेल्दी रहे, इसलिए वो उसकी जिद के बाद भी जंक फूड खाने की इज्जात नहीं देते हैं।
देते हैं क्वालिटी टाइम
आजकल के वर्किंग क्लास लोग, बच्चों के साथ ज्यादा समय नहीं बिता पाते हैं। अकेले रहकर वो चिड़चिड़े हो जाते हैं। इस बात को शाहिद- मीरा बहुत अच्छे से समझा आती है। इसलिए दोनों अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा समय देते हैं। काफी सारी हॉलिडे्स में भी जाते हैं ये ही वजह है कि मीरा- शाहिद अपने बच्चों के बेहद करीब हैं और उनका रिश्ता मजबूत है।
प्यार से सीखते हैं अनुशासन
बच्चों की भावनाओं को समझना और साथ में अनुशासन सिखाना जरूरी है। इससे बच्चे जल्दी समझते हैं और बच्चों का पैरेंट्स से रिश्ता गहरा हो जाता है। मीरा का कहना है कि शाहिद एक अच्छे पिता हैं, और अपने बच्चों की परवरिश बेहद अच्छे तरीके से कर रहे हैं। अगर बच्चे कुछ गलत करते हैं तो उन्हें वो डांटने के बजाए प्यार से समझाते हैं। मीरा बताती हैं कि जब बच्चे सुबह उठते हैं तो सबसे पहले पिता के बारे में पूछते हैं। इससे पता चलता है कि शाहिद पिता के तौर पर अपने बच्चों के कितने करीब हैं।