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मिसकैरेज,अर्ली मेनोपॉज, कार्डियक अरेस्ट! Air Pollution बना महिलाओं के साथ पेट में पल रहे बच्चे का दुश्मन

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 27 Apr, 2023 01:29 PM
मिसकैरेज,अर्ली मेनोपॉज, कार्डियक अरेस्ट! Air Pollution बना महिलाओं के साथ पेट में पल रहे बच्चे का दुश्मन

'वर्ल्ड एयर क्वॉलिटी रिपोर्ट 2022’के एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 50 सबसे  पॉल्यूटेड  शहरों में से 35 शहर भारत के हैं। इसमें राजस्थान का भिवाड़ी शहर टॉप पर है। वहीं यूपी का गाजियाबाद दूसरे नंबर पर और देश की राजधानी दिल्ली को चौथा स्थान मिला है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो भारत के बढ़ते  एयर पॉल्यूशन  के चलते गर्भ में पल रहे बच्चे की भी जान को खतरा रहता है, इससे मिसकैरेज का मामले भी इसके चलते बढ़ोतरी देखने को मिली है। वक्त से पहले यानी प्रीमैच्योर डिलीवरी हो सकती है। 

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झुग्गी में रहने वाली महिलाओं की जल्दी बिगड़ती है सेहत

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के एक्सपर्ट्स का कहना है कि झुग्गी - झोपड़ी में रहने वाली महिलाओं की एयर पॉल्यूशन  से जल्दी सेहत बिगड़ती है। इसका कारण है एक कमरे में कई लोगों का एक साथ रहना और वेंटिलेशन के नाम पर कुछ भी नहीं होना। छोटे कमरे में इनडोर एयर पॉल्यूशन  बाहर के पॉल्यूशन  से भी ज्यादा भी खतरनाक है। ये महिलाओं के सेहत से खिलवाड़ करता है।

पहले नहीं होते थे महिलाओं को लंग्स कैंसर या कार्डियक अरेस्ट

एक जामने में महिलाएं लंग्स कैंसर और कार्डियक अरेस्ट का बहुत कम शिकार होती थीं लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि उत्तरी भारत में एयर पॉल्यूशन  1 दिन में 20 से 30 सिगरेट पीने जितना होता है, स्मोकर्स के शरीर में जैसा बदलाव सिरगेट पीने से आता है, वैसा ही पॉल्यूशन  के बीच में रहने वाली महिलाओं में भी देखने को मिलता है, जिससे लंग्स कैंसर का खतरा नहिलाओं में रहता है। आंखों में जलन, नाक से पानी बहना, शरीर में दर्द, कफ और खांसी हैं इसकी शुरुआती लक्षण हैं। पॉल्यूशन  के चलते  नुकसानदेह कण नाक के जरिए फेफड़ों में पहुंचते हैं, जिसके बाद वे खून में मिल जाते हैं। यह डस्ट पार्टिकल्स हार्ट शरीर के ब्लड सर्कुलेशन पर असर डालते हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन डगमगाता है और दिल की बीमारियों की शुरुआत होती है। इसलिए अब महिलाएं भी हार्ट प्रॉब्लम झेलने लगी हैं। 

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इसके अलावा भी महिलाओं को होती हैं एयर पॉल्यूशन से कई नुकसान। आइए डालते हैं इस पर एक नजर...

मिसकैरेज/ प्रीमैच्योर डिलीवरी

गायनोकॉलोजिस्ट की मानें तो अगर हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड या नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का लेवल ज्यादा है तो प्रेग्नेंसी पर बहुत बुरा असर पड़ता है। मिसकैरेज के मामले बढ़ सकते हैं, वक्त से पहले यानी प्रीमैच्योर डिलीवरी हो सकती है या ‘स्टिल बर्थ’ यानी बच्चे की हार्ट बीट गायब हो सकती है। मेडिकल language में इसे ईडीसी यानी एंडोक्राइन डिस्फैक्टर्स कहा जाता है।

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अर्ली मेनोपॉज

पॉल्यूशन में पाए जाने वाले पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5–10) यानी कण 2.5 से 10 mm के बीच के हों तो वह महिलाओं के पीरियड्स को प्रभावित करते हैं। जब हर महीने पीरियड्स नहीं होते तो महिलाएं पीसीओएस या पीसीओडी का शिकार हो जाती हैं। एयर पॉल्यूशन से जल्दी मेनोपॉज की समस्या भी हो सकती है। दरअसल पॉल्यूशन से हॉर्मोन्स का लेवल असंतुलित हो जाता है। इससे ओवरी सामान्य स्तर पर एस्ट्रोजन नाम का हार्मोन रिलीज नहीं कर पाती। कई बार समय से पहले ओवरी काम करना बंद कर देती हैं जिसे प्रीमैच्योर ओवेरियन फेल्योर कहा जाता है।

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पेट में पल रहे बच्चे को भी हो सकता है नुकसान

हवा में गुले पॉल्यूशन के कण महिलाओं के शरीर में हॉर्मोन्स के नॉर्मल फ्लाे को डिस्टर्ब करते हैं जिससे उनमें हॉर्मोनल इमबैलेंस (असंतुलन) हो जाता है। अगर पॉल्यूशन के कण प्लेसेंटा यानी गर्भ नाल में चले जाएं तो भ्रूण को प्रभावित करते हैं। बेबी तक होने वाली ब्लड सप्लाई को रोक सकते हैं जिससे उसका विकास रुक सकता है। खून में हानिकारक केमिकल मिले होंगे तो बच्चों को किसी भी तरह का डिफेक्ट हो सकता है।

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झुर्रियां पड़ना/प्रीमेच्योर एजिंग

एयर पॉल्यूशन सबसे ज्यादा ट्रैफिक से होता है। इससे पार्टिकुलेट मैटर (PM) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड हवा में घुल जाती है जो भले ही आपको आंखों से नजर न आएं लेकिन यह त्वचा को वक्त से पहले खराब कर देती है। इससे प्रीमेच्योर एजिंग शुरू हो जाती है। एयर पॉल्यूशन स्किन में फ्री रेडिकल्स को बढ़ावा देते हैं जिससे पिग्मेंटेशन बढ़ता है और त्वचा पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं। पॉल्यूशन का असर बेअसर करने के लिए चेहरे पर स्किन प्रोटेक्टिंग एंटी पॉल्यूशन सीरम अप्लाई करें।

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 लैंसेट प्लैनेटरी की रिपोर्ट के अनुसार 2000-2016 के बीच भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में पॉल्यूशन की वजह 29% प्रेग्नेंसी लॉस हुईं। 

एयर पॉल्यूशन से बचने के लिए आप ये कुछ कदम उठा सकती हैं...

घर में वेंटिलेशन रखें ताकि धूप और ताजी हवा आती रहे।
डाइट में हरी सब्जियां और फल खाएं।
मास्क पहनकर ही बाहर निकलें।
एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करें।
कंस्ट्रक्शन एरिया से दूर रहें।
पेस्ट कंट्रोल से दूर रहें।
खेत या इंडस्ट्रियल एरिया में ना जाएं
रुम फ्रेशनर से बचें।

नोटएयर पॉल्यूशन से बचने पर एक्सपर्ट्स बेहतर सलाह दे पाएंगे।

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