देश की राजनीति पर व्यापक असर डालने की क्षमता वाले उस 128वें संविधान संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। राज्यसभा ने ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023' को करीब 10 घंटे की चर्चा के बाद सर्वसम्मति से अपनी स्वीकृति दी। विधेयक के पक्ष में सभी मौजूद 214 सदस्यों ने मतदान किया जबकि इसके विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा।
महिलाओं को मिलेंगे ये अधिकार
-महिलाओं के आरक्षण के बाद लोकसभा में महिलाओं की संख्या बढ़कर 181 हो जायेगी।
-विधेयक में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के आरक्षण का भी प्रावधान होगा।
-दिल्ली की विधानसभा में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए करने के वास्ते संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए में संशोधन किया जायेगा।
-दिल्ली में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में से एक तिहाई आरक्षण महिलाओं को दिया जायेगा
-इसी तरह अनुच्छेद 330 ए जोड़कर लोकसभा में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की व्यवस्था की जा रही है।
-इसमें भी अनुसूचित जाति और जनजाति के कोटे की एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए होंगी।
-विधेयक में प्रस्तावित नये अनुच्छेद 334 ए के तहत महिला आरक्षण की व्यवस्था सीटों के नये परिसीमन के बाद लागू होगी ।
- अनुमान लगाया जा रहा है कि लोकसभा में महिला आरक्षण की व्यवस्था 2029 के आम चुनावों में ही लागू हो पायेगी।
56 सांसदों में से दो ने किया विधेयक का विरोध
लोकसभा में यह विधेयक बुधवार को ही पारित हो चुका है। हालांकि, लोकसभा में मौजूद 456 सांसदों में से दो ने इसके खिलाफ मतदान किया था। विधेयक के पारित होने के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदन में मौजूद थे। इस विधेयक के पारित होने के साथ ही राज्यसभा का विशेष सत्र अपने निर्धारित कार्यक्रम से एक दिन पहले ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था। विशेष सत्र का प्रारंभ 18 सितंबर को हुआ था और इसका समापन 22 सितंबर को होना था। 128वें संविधान संशोधन विधेयक, जिसे ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम' के रूप में संदर्भित किया गया है, को अब राज्य विधानसभाओं के बहुमत की मंजूरी की आवश्यकता होगी।
संसद में महिला सांसदों की संख्या थी बेहद कम
देश के 95 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से करीब आधी महिलाएं हैं, लेकिन संसद में महिला सांसदों की संख्या केवल 15 प्रतिशत और राज्य विधानसभाओं में यह आंकड़ा महज 10 प्रतिशत ही है। उच्च सदन में बहस का जवाब देते हुए कानून मंत्री ने कहा कि जनगणना का काम आसान नहीं है क्योंकि इसमें विभिन्न सामाजिक और आर्थिक मानकों से संबंधित आंकड़े एकत्र किए जाते हैं। उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी तरह की आशंका जताने की जरूरत है। महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण संसद के उच्च सदन और राज्य विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।
नारी शक्ति को मिलेगी नई उर्जा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की है कि महिला आरक्षण संबंधी यह विधेयक कानून बनने पर ‘नारीशक्ति वंदन अधिनियम' के नाम से जाना जाएगा। विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए महिला आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा। चर्चा के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने इस विधेयक को देश की नारी शक्ति को नयी ऊर्जा देने वाला करार देते हुए कहा कि इससे महिलाएं राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए नेतृत्व के साथ आगे आएंगी। उन्होंने इस विधेयक का समर्थन करने के लिए सभी सदस्यों का ‘हृदय से अभिनंदन और आभार व्यक्त' किया। उन्होंने कहा कि यह जो भावना पैदा हुई है, वह देश के जन जन में एक आत्मविश्वास पैदा करेगी। उन्होंने कहा कि सभी सांसदों एवं सभी दलों ने एक बहुत बड़ी भूमिका निभायी है।
संसद में विधेयक पारित होने का मनाया जश्न
वर्तमान में भारत के 95 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में लगभग आधी महिलाएं हैं, लेकिन संसद में महिला सदस्यों की संख्या केवल 15 प्रतिशत है जबकि विधानसभाओं में यह आंकड़ा 10 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधेयक का समर्थन करने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया। बाद में प्रधानमंत्री ने महिला सांसदों के साथ एक तस्वीर खिंचवाई, जिनमें से कई ने विधेयक पारित होने का जश्न मनाने के लिए मिठाइयां बांटीं।
महिला सदस्यों ने की पीएम की प्रशंसा
कई महिला सदस्यों ने विधेयक को पारित कराने में निर्णायक नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री की प्रशंसा की। सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में मोदी ने इस विधेयक के संसद से पारित होने को देश की लोकतांत्रिक यात्रा का ‘एक ऐतिहासिक क्षण' बताया और कहा कि यह भारत की महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण के युग की शुरुआत है। मोदी ने कहा- ‘‘हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक निर्णायक क्षण! 140 करोड़ भारतीयों को बधाई।'' उन्होंने कहा, ‘‘संसद में नारी शक्ति वंदन विधेयक के पारित होने के साथ, हम भारत की महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण के युग की शुरुआत कर रहे हैं। यह केवल एक विधेयक नहीं है, यह उन अनगिनत महिलाओं के लिए एक श्रद्धांजलि है जिन्होंने हमारे राष्ट्र को बनाया है। भारत उनके लचीलेपन और योगदान से समृद्ध हुआ है।''