23 DECMONDAY2024 1:52:47 AM
Nari

अनोखा मंदिर: यहां भोलेनाथ के अंगूठे की होती है पूजा, जानें इसकी पौराण‍िक कथा

  • Edited By neetu,
  • Updated: 04 Aug, 2021 05:48 PM
अनोखा मंदिर: यहां भोलेनाथ के अंगूठे की होती है पूजा, जानें इसकी पौराण‍िक कथा

भगवान शिव को समर्पित सावन का पवित्र मास चल रहा है। इस दौरान शिव भक्त भक्ति की लहर में डूबो होते हैं। इसके साथ ही बहुत से श्रद्धालु शिव मंदिरों में माथा टेकने जाते हैं। वैसे तो भारत में शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित है, जिनका विशेष महत्व है। मगर इनके अलावा और भी कई मंदिर ऐसे जो विशेष महत्व व रहस्य रखते हैं। ऐसा ही एक शिव मंदिर माउंट आबू (राजस्थान) से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर में अचलगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित अचलेश्वर मंदिर है। माना जाता है कि यहां पर शिव जी के दाहिने पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। चलिए आज हम आपको इसके पीछे का रहस्‍य बताते हैं...

PunjabKesari

चमत्कारों से भरा अचलेश्वर मंदिर

भोलेनाथ का अचलेश्वर मंदिर अचलगढ़ की पहाड़ियों के पास स्थापित है। यहां पर भगवान शिव की प्रतिमा की नहीं बल्कि उनकी दाहिने पैर के अंगूठे की पूजा होती है। मान्यता है कि यहां के पर्वत शिवजी के पैर के अंगूठे की वजह से टिके हुए है। अगर कहीं भोलेनाथ ने अंगूठा ना रखा होता तो ये पहाड़ टूटकर खराब हो जाने थे। इसके अलावा इस पवित्र स्थान पर और भी कई चमत्कार माने जाते हैं।

PunjabKesari

शिव ने पर्वत को हिलने से रोका था

धार्मिक कथाओं के अनुसार, एक समय अर्बुद पर्वत पर स्थित नंदीवर्धन हिलने लगा था। इसके कारण हिमालय पर तपस्या कर रहे भोलेनाथ की तपस्या में विघ्न पड़ने लगा। इस पहाड़ पर शिव जी की प्यारी गाय नंदी थी। फिर उसे बचाने के लिए भोलेनाथ ने हिमालय से ही अंगूठा फैलाकर अर्बुद पर्वत को हिलने से रोक दिया था। कहा जाता है कि भगवान शिव के अंगूठे के निशान आज भी वहां पर दिखाई देते हैं।

PunjabKesari

अंगूठे के नीचे बने गड्ढे में पानी ना भरना भी रहस्य

कहा जाता है कि शिव जी के इस रहस्यमयी मंदिर के नीचे एक गड्ढा बना हुआ है। मान्यता है कि इसमें जितना मर्जी पानी डाल दो मगर यह कभी भरता नहीं है। साथ ही शिव जी पर चढ़ने वाला जल कहां से और कब आता है इसका किसी को कुछ पता नहीं चल पाता है।

PunjabKesari

दिन में तीन बार बदलता शिवलिंग का रंग

मान्यता है इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। सुबह के समय शिवलिंग का रंग लाल होता है। दोपहर को इसका रंग केसरिया हो जाता है। शाम को शिवलिंग उजले रंग में बदल जाता है और रातभर ऐसा ही रहता है।

PunjabKesari

 

Related News