बचपन को सुखद बनाने में दादा-दादी या नानी की बड़ी भूमिका होती है। उनके प्यार और स्नेह का तो कोई मेल ही नहीं है। दादा-दादी एक बच्चे के जीवन में कितने महत्वपूर्ण हैं, ये हमें बता दिया है 17 साल की आरती प्रजापत ने। अपने दादा-दादी से मिलने के लिए ये लड़की इतनी बेताब हो गई कि उसने अकेले ही 216 किलोमीटर सफर तय कर लिया।
17 साल की यह बहादुर लड़की जयपुर से साइकिल चलाकर भरतपुर पहुंची। आरती को जैसे ही अपने दादा-दादी की खराब तबीयत का पता चला तो वह अपने आप को रोक नहीं पाई और साइकिल से भरतपुर के लिए निकल पड़ी। हालांकि उनकी मां ने उन्हे समझाने की लाख कोशिश की लेकिन दादा-दादी का प्यार उसे खींच ले गया।
साइकल में 216 किलोमीटर का सफर आरती के लिए आसान नहीं था। रास्ता भटकने के चलते वह आगरा निकल गई। उत्तर प्रदेश मात्र 15 किलोमीटर का बोर्ड देख कर उसे पता चला कि उसने ग़लत रास्ता ले लिया है। इसके बावजूद भी उसके कदम नहीं रुके। इसके बाद वो लौटकर वापस आई। उसे करीब 40 किलोमीटर अधिक साइकिल चलाना पड़ी। इतना ही नहीं रास्ते में साइकिल पंचर और कई बार उसकी चैन उतरने की भी समस्या आई।
भरतपुर में दादा- दादी से मिलने के बाद जब वह वापस लौटी तो जयपुर के टाइगर्स राइडर ग्रुप के सभी सदस्यों ने उनका स्वागत किया। आरती बताती है कि उन्हे जैसे ही दादी की तबीयत के बारे में पता चला तो उनसे रहा नहीं गया। आरती को मां ने बहुत समझाया कि कुछ दिन बाद बस से चलते हैं, लेकिन वह नहीं मानी।