होली, जिसका नाम सुनते ही दिलों-दिमाग में रंग और मस्ती का ख्याल आ जाता है। होली हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं होली में रंगों का इस्तेमाल क्यों किया जाता है और इस दिन को मनाने की शुरूआत कहां से हुई। चलिए आज हम आपको बताते हैं रंगों के त्यौहार होली से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।
होली क्यों मनाई जाती है?
दरअसल, होली मनाने के पीछे हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका की प्राचीन व पौराणिक कहानी है। हिरण्यकश्यप एक राक्षस था, जिसने तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वरदान पा लिया था और इसके बाद वह निरंकुश हो गया।
उस दौरान परमात्मा में अटूट विश्वास रखने वाला प्रहलाद जैसा भक्त पैदा हुआ, जो भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने सभी को आदेश दिया था कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति ना करे लेकिन प्रहलाद नहीं माना इसलिए हिरण्यकश्यप ने उसे जान से मारने का प्रण लिया। मगर लाख कोशिशों के बाद भी वह ऐसा ना कर सका।
उसकी बहन होलिका को अग्नि (आग) से बचने का वरदान प्राप्त था। ऐसे में हिरण्यकश्यप ने उसकी मदद लेकर प्रहलाद को मारना चाहा लेकिन जैसे ही होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर बैठी वह खुद जलकर भस्म हो गई। उसके बाद से ही लोगों ने बुराई पर अच्छाई की जीत पर होली का त्यौहार मनाना शुरू किया।
रंगों और होली का क्या है क्नैक्शन?
ऐसा माना जाता है कि होली में रंग के प्रयोग की शुरुआत भगवान कृष्ण के समय से हुई है। भगवान कृष्ण होली रंगों के साथ मनाते थे, जिसके बाद से होली में रंगों का प्रयोग होने लगा। हालांकि मथुरा-वृदांवन में रंगों के साथ-साथ फूलों से भी होली खेली जाती है। यहां फूलों की होली हफ्ताभर चलती है, जिसमें शामिल होने के लिए विदेश से भी टूरिस्ट आते हैं। इसका सेलिब्रेशन वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर से शुरू होता है।
इसलिए भी मनाते हैं होली का त्यौहार
कुछ जगहों में होली को बसंत महोत्सव और काम महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। लोग अपनी फसल पकने की खुशी में भी इसे मनाते है और वो भी 3 या उससे अधिक दिनों तक। वहीं कुछ जगहों पर इस दिन को 'धुलेंडी' भी कहते है। होली के दिन सब लोग मिलकर होली के लोकगीत गाते है, घरो में तरह तरह के पकवान बनाए जाते है।
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