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बीवी के एक शक के चलते अधूरी रह गई थीं गुरुदत्त साहब की आखिरी ख्वाहिश!

  • Edited By Sunita Rajput,
  • Updated: 09 Jul, 2020 06:42 PM
बीवी के एक शक के चलते अधूरी रह गई थीं गुरुदत्त साहब की आखिरी ख्वाहिश!

वैसे तो बॉलीवुड इंडस्ट्री में ऐसे कई सितारें हैं जिन्होंने न सिर्फ एक्टिंग की दुनिया में बल्कि अन्य क्षेत्र में भी अपने हुनर का जोहर दिखाया, ऐसा ही खास प्रतिभा के धनि थे गुरु दत्त साहब जिन्होंने एक्टिंग ही नहीं, फिल्म निर्माण से लेकर निर्देशन, कोरियोग्राफी में भी अपना लोहा मनवाया। गुरुदत्त साहब ने अपनी जिंदगी में काफी गरीबी व दुख झेले। जहां उनकी उनकी शादीशुदा जिंदगी बिल्कुल ठीक चल रही थी, वहीं एक एक्ट्रेस के आने से उसमें भी मुश्किलें आ गई...

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गुरु दत्त का जन्म 9 जुलाई 1925 को बेंगलुरु में हुआ था। उनका असली नाम वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण था। उनके करियर से ज्यादा उनकी पर्सनल लाइफ चर्चा में रही जिसकी वजह से उन्होंने कई तकलीफों का सामना भी किया। दरअसल, गुरुदत्त और गीता की मुलाकात फिल्म बाजी के दौरान हुई, जहां से शुरू हुई दोनों के बीच की नजदीकियां। करीब तीन साल रिलेशनशिप में रहने के बाद दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद दोनों की जिंदगी में इतने उतार-चढ़ाव आए कि ना तो उनका करियर उड़ान भर सका और ना ही पर्सनल लाइफ ट्रेक पर आ पाईं। दोनों के खराब होते रिश्ते की वजह बना था गीता दत्त का शक। जी हां, गीता को हमेशा लगता था कि गुरुदत्त साहब का बाहर अफेयर चल रहा है। शक इस कदर बढ़ चुका था कि एक दिन गुरुदत्त को एक चिट्ठी मिली जिसमें गीता ने लिखा था, 'मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती। अगर तुम मुझे चाहते हो तो आज शाम को साढ़े छह बजे मुझसे मिलने नारीमन प्वॉइंट पर आओ। तुम्हारी वहीदा।' हालांकि, इसके बाद दोनों के बीच काफी झगड़ा हुआ जिसके बाद बात करनी बंद हो गई। गीता झगड़ा कर बार-बार मायके जाने लगी जिस वजह से गुरूदत्त डिप्रेशन में रहने लगे। 

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एक रिपोर्ट के मुताबिक एक दिन गुरुदत्त के दोस्त बरार अलवी उनसे मिलने गए, जहां वो दुखी मन से बैठे अपनी ढ़ाई साल की बच्ची को याद कर रहे थे क्योंकि वो उससे मिलना चाहते थे लेकिन गीता उसे उनके पास भेजने के लिए तैयार नहीं थी। हालांकि, उसी वक्त गुरु दत्त ने नशे की हालत में फोन कर गीता को कहा, 'बेटी को भेजो वरना तुम मेरा मरा हुआ शरीर देखोगी।' करीब एक बजे के बाद अबरार अपने घर चले गए। फिर अगले दिन दोपहर को उनके पास आया कि गुरुदत्त की तबीयत खराब है, जब वो उनसे मिलने उनके घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि गुरूदत्त अपने पलंग पर मृत पड़े थे। उन्होंने नींद की गोलियां लेकर खुद को खत्म कर लिया। उनकी बेटी को मिलने की आखिरी ख्वाहिश अधूरी ही रही गई, वो भी एक शक के चलते। पति की मौत के गम में गीता भी शराब की आदी हो गई जिसके बाद उनकी आर्थिक स्थिति तो बिगड़ती चली गई लेकिन उनकी सेहत भी खराब रहने लगी। आखिरीकार 1972 में लिवर की बीमारी के चलते गीता दत्त की भी मौत हो गई।

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किसी ने सच ही कहा कि शक ऐसी चीज हैं जो बड़ों-बड़ों की जिंदगी को नरक व बर्बाद करके रख देता हैं। इसलिए कभी भी अपने मन में शक की भावना ना पैदा होने दो। अगर पार्टनर को लेकर किसी तरह की शंका हो तो आपस में बैठकर उसका हल निकालो न की शक में अपनी जिंदगी बर्बाद करो। 


 

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