दुनियाभर के लिए प्लास्टिक का कचरा मुसिबत बन चुका है। जगह-जगह फैैला प्लास्टिक ना सिर्फ सवास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि ये सुमद्री जीवों को भी नुकसान पहुंचाता है। हालांकि सरकार ने देश को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए कई तरह के अभियान चलाए। लेकिन इनका भी कुछ खास असर देखने को नहीं मिला। जिसके बाद महिलाओं के एक ग्रुप ने ये जिम्मा अपने सिर पर लिया।
120 दिन का समुद्री सफर
एमिली पेन बताती है कि साल 2007 में उन्हें एक रिसर्च के लिए चीन जाना पड़ा। एमिली ने कहा कि हवा प्रदूषण को कम करने के लिए उन्होंने ट्रेन से चीन जाना सही समझा। जिसके बाद अगले साल ऑस्ट्रेलिया में उन्हें नौकरी मिल गई। अब एमिली के सामने सबसे बड़ी चनौती ये थी कि वे बिना हवाई सफर किए ऑस्ट्रेलिया तक कैसे पहुंचेगी। जब उन्होंने गूगल पर इस बारे में सर्च की तो उन्हें अर्थरेस बोट जो बायोफ्यूल से चलती है उसके बारे में पता चला। एमिली ने बताया कि उन्होंने बोट के कैप्टन से बात कर 120 दिन का समुद्री सफर तय किया।
समुद्र को प्लास्टिक मुक्त बनाने की शुरूआत
एमिली ने आगे बताया कि यात्रा के दौरान हमारी बोट समुद्र में प्लास्टिक के कचरे से टकरा गई। ऐसे में सबसे पहले सवाल ये उठा कि इतना सारा प्लास्टिक समुद्र में कैसे पहुंचा। जिसके बाद एमिली ने समुद्र को प्लास्टिक मुक्त बनाने की अपनी यात्रा शुरू की। एमिली ने कहती हैं कि उन्होंने अपने शरीर में प्लास्टिक की वजह से जाने वाले 35 तरह के केमिकल के पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानने के लिए टेस्ट करवाया। टेस्ट के बाद उन्हे पता चला कि उनके शरीर में 29 केमिकल पहुंच चुके हैं।
कैंसर का कारण बनता है प्लास्टिक
वह आगे बताती हैं कि शरीर में पहुंचे ये केमिकल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से और खाना खाने के लिए किए गए प्लास्टिक के बर्तनों के इस्तेमाल से पहुंचे हैं। यही वजह कैंसर, फर्टिलिटी या हार्मोन के बिगड़ने का कारण बनती है। एमिली कहती है कि ये सभी समस्याएं महिलाओं से जुड़ी हैं। इसलिए इन समस्याओं से दुनिया को जागरूक करवाने के लिए हम महिलाओं ने समुद्र की यात्रा के जरिए एक मुहिम चलाई।
ई-एक्सपीडिशन राउंड द वर्ल्ड
साल 2014 में ई-एक्सपीडिशन संस्था की शुरुआत की गई। फिलहाल अब तक 28 देशों की 80 महिला रिसर्चर 10330 नॉटिकल मील का सफर तय कर 9 देशों को कवर किया। एमिली ने बताया कि साल 2019 में हमने ‘ई-एक्सपीडिशन राउंड द वर्ल्ड’ यात्रा की शुरूआत की, जिसमें 30 देशों की 300 महिला रिसर्चर ने हमारा साथ दिया। वहीं एमिली ने अपनी टीम के साथ मिलकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म SHiFT लॉन्च किया, जिस की मदद से वर्चुअल इम्पैक्ट का पता लगाया जा सके। इस टूल के जरिए लोग अपने कौशल, हित व स्थान को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक पॉल्यूशन की समस्या को हल कर सकते हैं।