टेलीविजन के कृष्ण नितीश भारद्वाज का घरेलू विवाद कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब अभिनेता की आईएएस पत्नी स्मिता भारद्वाज ने मुंबई की एक पारिवारिक अदालत में आवेदन देकर आग्रह किया है कि उनके पति लंबे समय से अपनी बेटियों को प्रतिमाह दस-दस हजार रुपये नहीं दे रहे हैं इसलिए उनकी संपत्ति बेच दी जाए। स्मिता का अपने पति के खिलाफ तलाक का मामला चल रहा है।
स्मिता के वकील चिन्मय वैद्य ने मुंबई के बांद्रा में एक पारिवारिक अदालत में ‘दरख्वास्त' देने की पुष्टि की। उन्होंने कहा- ‘‘मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि प्रति बेटी 10,000 रुपये यानी दो बेटियों के लिए प्रतिमाह 20,000 रुपये के अंतरिम आदेश पर दिसंबर 2022 से बहुत बकाया हो गया है जिसे प्राप्त करने की कार्यवाही की गयी है। दिसंबर, 2022 से यह राशि नहीं दी गयी है, इसलिए मुझे अपनी मुवक्किल की ओर से आवेदन दायर करना पड़ा।''
इस बारे में पूछे जाने पर नीतीश भारद्वाज ने व्हाट्सअप पर जवाब में कहा- ‘‘ मुझे अपने वकील से पता करना होगा कि क्या उसने (मेरी पत्नी ने) कोई ऐसा आवेदन दायर किया है।...'' इस महीने के प्रारंभ में नीतीश भारद्वाज ने भोपाल के पुलिस आयुक्त से शिकायत की थी कि उनकी पत्नी ने उनकी दोनों बेटियों का ‘अपहरण' कर लिया है और वह उन्हें उनसे मिलने नहीं दे रही हैं। नीतीश भारद्वाज ने ‘महाभारत' धारावाहिक में भगवान कृष्ण की भूमिका निभायी थी। स्मिता भोपाल में अवर मुख्य सचिव पद पर नियुक्त हैं।
स्मिता भारद्वाज ने एक बयान जारी कर नीतीश के आरोप को "झूठ और दुर्भावनापूर्ण" बताया था और दावा किया था कि उनका उद्देश्य उनकी छवि खराब करना और बदनाम करना था। उन्होंने कहा- "उनके पूर्व पति का जो दावा है कि मैंने हमारी नाबालिग जुड़वां बेटियों का अपहरण कर लिया है और उन्हें उनसे मिलने नहीं दे रही हूं, वह पूरी तरह से निराधार है।" वर्तमान में भोपाल में अतिरिक्त मुख्य सचिव के पर तैनात स्मिता और उनके पति नीतीश भारद्वाज के बीच वैवाहिक विवाद है और मामला पारिवारिक अदालत में लंबित है।
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने कहा कि एक माँ के रूप में वित्तीय चुनौतियों का सामना करने के बावजूद वह अपनी बेटियों की प्राथमिक देखभाल करती रही हैं, लेकिन नीतीश भारद्वाज की "देखभाल और भागीदारी की कमी के कारण लड़कियों को परेशानी और निराशा हुई है"। उन्होंने दावा किया कि उनके पति ने कभी भी बच्चों के पालन-पोषण के खर्च में आर्थिक योगदान नहीं दिया, न तो स्कूल की फीस के लिए और न ही उनके विकास में सहायता करने वाली किसी गतिविधि में।