नारी डेस्क : ब्रेस्ट इम्प्लांट एक कॉस्मेटिक सर्जरी है, जिसमें सिलिकॉन से बने इम्प्लांट के जरिए ब्रेस्ट का साइज और शेप बढ़ाया जाता है। लंबे समय तक बड़े आकार वाले ब्रेस्ट इम्प्लांट का ट्रेंड रहा, लेकिन अब महिलाएं अपनी पसंद और कम्फर्ट के अनुसार इम्प्लांट को एक्सचेंज या रिमूव करवा रही हैं। हाल के वर्षों में नेचुरल लुक और हल्के इम्प्लांट की ओर महिलाओं का झुकाव बढ़ा है।
शर्लिन चोपड़ा ने निकलवाए इम्प्लांट, कही दिल छूने वाली बात
मॉडल और एक्ट्रेस शर्लिन चोपड़ा ने हाल ही में अपने ब्रेस्ट इम्प्लांट निकलवाने की जानकारी इंस्टाग्राम पर एक वीडियो के जरिए साझा की। उन्होंने कहा कि “मेरे सीने से बोझ हट गया है।” उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि सिर्फ दिखावे के लिए अपने शरीर पर अनावश्यक बोझ न डालें। यह कदम उन महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बना है जो बहुत बड़े इम्प्लांट के कारण असहज महसूस करती हैं।
बदल रहा है ट्रेंड: बड़े इम्प्लांट से नेचुरल लुक की ओर
कॉस्मेटिक सर्जरी विशेषज्ञों के अनुसार पहले महिलाएं बड़े साइज के इम्प्लांट पसंद करती थीं ताकि ब्रेस्ट का आकार अधिक आकर्षक दिखे। लेकिन अब समय बदल रहा है। बता दें की महिलाओं में ब्रेस्ट एन्हांसमेंट को लेकर सोच तेजी से बदल रही है। पहले जहां बड़े और भारी इम्प्लांट का क्रेज था, वहीं अब महिलाएं छोटे, हल्के और नेचुरल शेप वाले इम्प्लांट को ज्यादा पसंद कर रही हैं। कई महिलाएं अपने पुराने बड़े इम्प्लांट को एक्सचेंज करवा रही हैं, जबकि कुछ महिलाएं इन्हें पूरी तरह हटाकर प्राकृतिक लुक अपनाना चाहती हैं। इसी बीच फैट ग्राफ्टिंग या फैट ट्रांसफर का ट्रेंड भी काफी बढ़ रहा है। इस प्रक्रिया में शरीर के अन्य हिस्सों—जैसे पेट, जांघ या कमर—से फैट निकालकर उसे ब्रेस्ट में डाला जाता है, जिससे ब्रेस्ट को अधिक प्राकृतिक शेप और सॉफ्टनेस मिलती है।
डॉक्टर बताते हैं की किन कारणों से निकलवाए जाते हैं इम्प्लांट?
प्लास्टिक सर्जन के अनुसार ब्रेस्ट इम्प्लांट हटाने या बदलने की कई वजहें हो सकती हैं।
नेचुरल लुक की चाह: कई महिलाएं अब बड़े इम्प्लांट से हटकर छोटा और प्राकृतिक आकार चाहती हैं।
इम्प्लांट का फटना (Implant Rupture): बहुत रेयर केस में इम्प्लांट फट सकता है, जिसे तुरंत हटाने की जरूरत होती है।
हार्डनेस या दर्द की समस्या: कभी-कभी इम्प्लांट के आसपास टिश्यू सख्त होने लगते हैं जिससे दर्द या डिसकम्फर्ट होता है।
लंबे समय बाद बदलाव की जरूरत: इम्प्लांट सुरक्षित होते हैं, लेकिन कई बार सालों बाद महिलाएं लुक बदलने के लिए एक्सचेंज करवा लेती हैं।
मेडिकल या पर्सनल कारण: कुछ महिलाएं मातृत्व, लाइफस्टाइल बदलाव या स्वास्थ्य कारणों से हटाने का निर्णय लेती हैं।
डॉक्टर बताते हैं कि जब तक किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इम्प्लांट को हटाने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि ये मेडिकल ग्रेड सिलिकॉन से बने और काफी सुरक्षित होते हैं।
कितना आता है खर्च? (Cost Breakdown)
प्लास्टिक सर्जन के अनुसार ब्रेस्ट इम्प्लांट से जुड़ी लागत इस प्रकार है।
नए सिलिकॉन ब्रेस्ट इम्प्लांट की लागत: ₹1.50 लाख (लगभग) इसमें इम्प्लांट + सर्जरी + हॉस्पिटल चार्ज शामिल होते हैं।
पुराने इम्प्लांट निकलवाने का खर्च: ₹60,000–₹70,000 इस लागत में मुख्यत सर्जरी चार्ज शामिल होते हैं।
हाइब्रिड इम्प्लांट (इम्प्लांट + फैट ट्रांसफर): ₹1.50 लाख (लगभग) इस प्रक्रिया में पहले शरीर से फैट निकाला जाता है, फिर उसे प्रोसेस करके ब्रेस्ट में इंजेक्ट किया जाता है, इसमें लगभग 2 घंटे का समय लगता है।
फैट ग्राफ्टिंग क्यों बढ़ रही है लोकप्रिय?
फैट ग्राफ्टिंग की लोकप्रियता तेजी से बढ़ने की सबसे बड़ी वजह इसका ज़्यादा नेचुरल लुक है। इसमें ब्रेस्ट को बढ़ाने के लिए किसी कृत्रिम इम्प्लांट के बजाय शरीर के अपने ही फैट का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे रिज़ल्ट न सिर्फ प्राकृतिक दिखता है बल्कि स्पर्श में भी नेचुरल लगता है। इस प्रक्रिया में जहां एक तरफ ब्रेस्ट का आकार सुधरता है, वहीं दूसरी तरफ शरीर के उन हिस्सों—जैसे पेट, जांघ या कमर का अतिरिक्त फैट भी कम हो जाता है। इम्प्लांट की तुलना में यह तरीका हल्का महसूस होता है और शरीर के साथ इसकी कंपैटिबिलिटी भी बेहतर रहती है, इसलिए महिलाएं इसे एक सुरक्षित और ज्यादा प्राकृतिक विकल्प के रूप में अपना रही हैं।
बदलते समय के साथ बदल रहा है ब्रेस्ट एन्हांसमेंट का नजरिया
जहां एक समय बड़े इम्प्लांट का क्रेज था, आज महिलाएं कम्फर्ट, प्राकृतिक लुक और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रही हैं। चाहे इम्प्लांट छोटे करवाना हो या पूरी तरह हटाना, महिलाएं अब अपने शरीर और मानसिक आराम को सबसे ऊपर रख रही हैं।