इस वर्ष का चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिकों डेविड जूलियस और आर्डम पातापुतियन को दिए जाने का ऐलान हो गया है। इन दोनों ने दुनिया को बता दिया है कि इंसान का जिस्म सूरज की गर्मी और अपनों को स्पर्श करने पर कैसे महसूस करता है। उनकी इस खोज के जरिए वैज्ञानिक हमारे शरीर के किसी खास हिस्से में होने वाले दर्द की दवा खोज सकते हैं।
दोनों वैज्ञानिकों का अध्ययन ‘सोमैटोसेंसेशन’ क्षेत्र पर केंद्रित था जो आंख, कान और त्वचा जैसे विशेष अंगों की क्षमता से संबंधित है। नोबेल समिति के महासचिव थॉमस पर्लमैन ने इन विजेताओं के नामों की घोषणा करते हुए कहा कि इस खोज से वास्तव में प्रकृति के रहस्यों में से एक का खुलासा होता है... यह वास्तव में ऐसा कुछ है जो हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए यह एक बहुत ही अहम और गहन खोज है।"
दरअसल यह तो हम सब जानते हैं कि आग को छूने से हमारी उंगलियां जल जाएंगी लेकिन हमें यह नहीं मालूम कि ऐसा क्यों होता है। इस रहस्य को खोजने के बाद पता चलेगा कि शरीर के किसी खास हिस्से में होने वाले दर्द के लिए खास तरह की दवा विकसित की जा सकती है। इस जानकारी को गंभीर दर्द समेत की बीमारियों का इलाज तलाशने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
नोबेल समिति के पैट्रिक अर्नफोर्स ने कहा कि कल्पना कीजिए कि आप गर्मी के मौसम में किसी दिन सुबह मैदान में नंगे पांव चल रहे हैं... आप सूरज की गर्मी, सुबह की ओस की ठंडक, हवा और अपने पैरों के नीचे घास को महसूस कर सकते हैं। तापमान, स्पर्श और हरकत के ये प्रभाव सोमैटोसेंसेशन पर निर्भर भावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि त्वचा और अन्य गहरे ऊतकों से इस तरह की सूचना लगातार निकलती है और हमें बाहरी और आंतरिक दुनिया से जोड़ती है। यह उन कार्यों के लिए भी आवश्यक है, जिन्हें हम सहजता से और बिना ज्यादा सोचे-समझे करते हैं।”
पिछले साल का पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को दिया गया था, जिन्होंने लीवर को खराब करने वाले हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज की। वह ऐसी कामयाबी थी, जिससे घातक बीमारी के इलाज का रास्ता प्रशस्त हुआ और ब्लड बैंकों के माध्यम से इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए परीक्षण किए गए। नोबेल पुरस्कार चिकित्सा के अलावा भौतिकी, रसायन विज्ञान, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए दिए जाते हैं।