पुरुष प्रधान समाज में भारतीय महिलाओं को शुरू से कम आंका जाता है, फिर बात आज के मॉर्डन जमाने की क्यों ना हो। यही वजह है कि पुलिस फील्ड में भी महिलाओं को बड़े मसलों और गुंड़ो से दूर रहने की सलाह दी जाती हैं लेकिन अब पुलिस स्टेशन में ऐसी जांबाज महिला ऑफिसर्स भी हैं, जो बड़े-बड़े गुड़ों को अपना ताकत का लोहा मनवा चुकी हैं। उन्हीं में एक नाम महिला हेड कॉन्स्टेबल सीमा ढाका भी जुड़ गया है, जिन्हें लोग दिल्ली की 'मैडम सर' कहने लगे हैं।
ढाई महीने में ढूंढ निकाले 77 लापता बच्चें
दिल्ली के समयपुर बादली थाने में तैनात महिला हेड कॉन्स्टेबल सीमा ने ऐसा काम कर दिखाया है कि हर कोई उन्हें सलाम कर रहा है। दरअसल, हेड कॉन्स्टेबल सीमा ने करीब 3 महीने में 76 लापता बच्चों को ढूंढ निकाला, जिसमें से 56 बच्चों की उम्र 14 साल से भी कम थी।
3 महीने में पूरी की कमिश्नर की शर्त
उनकी इस बहादुरी के लिए उन्हें आउट-ऑफ-टर्न प्रमोशन दिया गया है, जिसकी घोषणा खुद दिल्ली पुलिस कमिश्नर एनएन श्रीवास्तव ने की। उन्हें इन्सेंटिव स्कीम के तहत प्रमोशन मिली है, जिसे पाने वाली वह दिल्ली पुलिस की पहली कर्मचारी भी बन गई है। दरअसल, दिल्ली पुलिस के कमिश्नर SN श्रीवास्तव ने शर्त रखी थी कि लापता बच्चों को जल्दी ढूंढने वाले कांस्टेबल या हेड कांस्टेबल को OTP (आउट ऑफ टर्न प्रमोशन) दिया जाएगा।
नदी में बाढ़ आने पर भी नहीं रूकी सीमा
सीमा ने बताया कि उनके लिए यह काम काफी चुनौतूपूर्ण था क्योंकि इसी साल अक्टूबर महीने में पश्चिम बंगाल से लापता एक नाबालिग को छुड़वाना था। उन्होंने अपने पुलिस दल के साथ नावों में बच्चों की खोज शुरू की। यही नहीं, नदी में बाढ़ आने के बावजूद भी उन्होंने अपनी खोज जारी रखी। महीनों से ऐसे मामलों पर काम कर रही सीमा ने काफी खोजने के बाद दिल्ली, यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और पंजाब के बच्चों को बचाया। उन्होंने कहा कि एक मां अपने बच्चों को कभी नहीं खोना चाहती। इसलिए लापता बच्चों को ढूंढने के लिए उन्होंने 24-14 घंटे काम किया, जिसका परिणाम आपके सामने है।
कौन है सीमा ढाका?
मूलरूप से बढ़ौत की रहने वाली सीमा का ससुराल उत्तर प्रदेश शामली में है। जांबाज सीमा एक टीचिंग प्रोफेशन वाले परिवार से ताल्लुक रखती हैं इसलिए वह बचपन से शिक्षिका बनना चाहती थी लेकिन उसी दौरान उन्होंने दिल्ली पुलिस का फार्म भर दिया। सिलेक्ट होने के बाद सीमा ने 2006 में पुलिस को अपनी सेवा देनी शुरू की। सीमा की शादी अनिक ढाका से हुई जो खुद शामली में एक पुलिस अफसर हैं। क्योंकि सीमा खुद एक 8 साल के बच्चे की मां है इसलिए उन्हें एक मां का दर्द अच्छी तरह पता है। यही वजह है कि उन्होंने खुद गुमशुदा बच्चों को तलाशने की इच्छा जाहिर की।
वाकई, सीमा के इस काम पर पूरे देश को गर्व हैं। उन्होंने ना सिर्फ दुखी परिवारों की खुशी लौटाई बल्कि बच्चों को उनके गलत इस्तेमाल और शोषण से भी बचाया।