02 MAYTHURSDAY2024 9:37:22 AM
Nari

Chhath Vrat Katha: कथा के बिना अधूरा छठ व्रत, जानिए कौन हैं छठी मइया?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 10 Nov, 2021 04:53 PM
Chhath Vrat Katha: कथा के बिना अधूरा छठ व्रत, जानिए कौन हैं छठी मइया?

भगवान सूर्य या सूर्य भगवान को समर्पित छठ पूजा चार दिन मनाया जाता है। इस शुभ काल में महिलाएं अपने पुत्रों की सुख-समृद्धि और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। यह पर्व ज्यादातर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। इस दौरान महिलाएं संतान के लिए 36 घंटे का निर्जला उपवास करती हैं लेकिन कथा सुने बिना आपका व्रत अधूरा माना जाएगा। कोरोना काल में कथा सुनने बाहर नहीं जा सकती तो घर पर इसे सुन लें। चलिए आपको बताते हैं छठी व्रत की पूरी कथा।

छठ व्रत कथा

कथा के अनुसार, प्रियव्रत नाम के राजा और उनकी पत्नी मालिनी के कोई संतान नहीं थे, जिसके कारण दोनों बहुत दुखी रहते थे। संतचान प्राप्ति के लिए उन्होंने महर्षि कश्यप से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया, जिसके फलस्वरूप रानी मालिनी गर्भवती तो हुई लेकिन नौ महीने बाद उन्हें मरा हुई पुत्र प्राप्त हुआ। इससे राजा को बहुत दुख हुआ और शोक में उन्होंने आत्महत्या करने का फैसला किया। तभी राजा के सामने षष्टी देवी प्रकट हुई और कहा कि जो भक्त सच्चे मन से मेरी पूजा करता है मैं उनके सभी मनोरथ पूरे कर देती हैं और पुत्र का सौभाग्य देती हूं।

PunjabKesari

षष्टी मां की पूजा से राजा को हुई थी संतान प्राप्ति

देवी का बात सुन राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया और अपनी पत्नी सहित कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर व गुणी पुत्र हुआ। तभी से छठी का पावन पर्व मनाया जाने लगा।

कौन हैं छठी मइया?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैया देवी दुर्गा के एक रूप और देवी कात्यायनी का अवतार है, जिनकी पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। उन्हें दुनिया के निर्माता भगवान ब्रह्मा की बेटी भी कहा जाता है। कहा गया है कि दुनिया के निर्माण के दौरान, भगवान ब्रह्मा ने खुद को दो भागों में विभाजित किया, एक पुरुष का और दूसरा महिला का। जिस भाग को उन्होंने नारी में विभाजित किया, वह प्रकृति मां  बन गया और उसने अपने आप को छह भागों में विभाजित कर लिया, जिसमें से अंतिम भाग सभी प्राणियों के लिए मातृ प्रेम से भरा था और इसलिए इसे 'षष्ठी' या 'छठी' कहा गया। ऐसा भी कहा जाता है कि छठ देवी सूर्य देवता की बहन हैं इसलिए इसलिए छठ में छत्ती मैया और सूर्य दोनों की पूजा की जाती है।

PunjabKesari

भारत में क्यों की जाती है छठी मैया की पूजा?

चूंकि देवी छटी या छटी मैया को मातृ प्रेम का प्रतीक माना जाता है इसलिए बच्चे के जन्म के छठे दिन, देवी की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इससे बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य, लंबे जीवन और सफलता का आशीर्वाद मिलता है।

अन्य लोककथा में कहा गया है कि कर्ण का जन्म स्वयं सूर्य देव के वरदान के कारण हुआ था। कर्ण अपने देवता की पूजा करने के लिए हर दिन घंटों कमर-गहरे पानी में खड़ा रहता था, जिसके बाद उगते सूरज को प्रसाद देने की परंपरा शुरू हो गई।

PunjabKesari

Related News