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टोक्यो ओलंपिक 'दंगल' में उतरेंगी 19 साल की हरियाणवी छोरी, 13 साल की उम्र से कर रही कुश्ती

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 27 Jul, 2021 04:14 PM
टोक्यो ओलंपिक 'दंगल' में उतरेंगी 19 साल की हरियाणवी छोरी, 13 साल की उम्र से कर रही कुश्ती

टोक्यो ओलंपिक में भारत को देश की बेटियों से काफी उम्मीदें हैं। बता दें कि इस बार ओलंपिक में भारत के 127 खिलाड़ी होंगे, जिसमें 73 पुरुष और 54 महिला खिलाड़ी शामिल हैं। भारत के लिए यह अब तक का सबसे हाइएस्ट नंबर है। वहीं, ओलंपिक की जंग में पहलवान अंशु मलिक से भी देश की जनता को गोल्ड मेडल की आस हैं। हालांकि देश का सपना पूरा करने के लिए रात-दिन मेहनत कर रही हैं।

कौन है अंशु मलिक?

हरियाणा के जींद जिले के छोटे-से गांव निडानी  जन्मीं अंशु मलिक खौफ का दूसरा नाम है। भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान अंशु पहलवानों के परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने निदानी के चौधरी भारत सिंह मेमोरियल स्पोर्ट्स स्कूल में कोच जगदीश से पहलवानी सीखी। अंशु के पिता धर्मवीर मलिक खुद एक अंतरराष्ट्रीय पहलवान थे और सीआईएसएफ में काम करते थे।

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देश के लिए ला चुकी हैं 2 गोल्ड मेडल

2 साल पहले जूनियर वर्ग कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में उन्होंने 60 कि.ग्रा. वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। 2020 में उन्होंने नई दिल्ली में आयोजित 2020 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में 57 कि.ग्रा. स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। उसी साल उन्होंने बेलग्रेड, सर्बिया में आयोजित 2020 व्यक्तिगत कुश्ती विश्व कप में महिलाओं की 57 कि.ग्रा. स्पर्धा में रजत पदक जीता। इसके अलावा एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप 2021 में अंशु ने विनेश फोगट और दिव्या काकरान के साथ स्वर्ण पदक जीता।

दादी से मिली प्रेरणा

पहलवानी की प्ररेणा अंशु की अपनी दादी से मिली। उन्होंने 2013 में खेलना शुरू किया और एक के बाद एक शानदार जीत हासिल की। उनकी मां ने बताया कि परिवार में सभी लोग अंशु को बेटे की तरह प्यार-लाड करते हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वो फ्रीस्टाइल रेसलर साक्षी मलिक को अपनी प्रेरणा मानती हैं और उन्हीं की तरह देश के लिए मेडल लाना चाहती है।

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8 घंटे करती हैं प्रैक्टिस

महज 19 साल की उम्र में उनका नाम देश के नंबर वन पहलवान में शुमार हो चुका है। उन्होंने महज13 साल की उम्र में ही कुश्ती शुरू कर दी थी। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए अंशु मेहनत भी बहुत करती हैं। उनकी मां ने बताया कि गांव में वह सुबह 4 घंटे और शाम को 4 घंटे प्रैक्टिस करती थी। उनके परिवार को भी पूरी उम्मीद है कि अंशु गोल्ड जीतकर देश का नाम रोशन करेंगी।

विरासत में मिली पहलवानी

बता दें कि अंशु मलिक को पहलवानी विरासत में मिली है। उनके पिता व ताऊ नेशनल लेवल पहलवान हैं। उन्होंने ही अंशु को पहलवानी के शुरूआती दांव-पेच सिखाए। हालांकि वह पोजिशन में थोड़ी कमजोर है, लेकिन कड़ी मेहनत से उन्होंने खुद को मजबूत बनाया। वहीं, अंशु का छोटा भाई भी पहलवानी करता है। 

अंशु मलिक की अब तक उपलब्धियां

. आगरा में 7 से 15 मई 2017 तक आयोजित विश्व खेल स्कूल चैंपियनशिप में स्वर्ण
. थाईलैंड में 20 से 23 जुलाई 2017 तक आयोजित एशिया कैडिट कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य
. 2016 में ताइवान में आयोजित एशिया कैडिट कुश्ती चैंपियनशिप में रजत
. 2016 में जार्जिया में आयोजित विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य
. 10 से 13 मई 2018 को एशियन सब जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण
. 18 से 23 सितंबर तक तरनाया में आयोजित विश्व जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य
. 3 से 8 जुलाई 2018 को आयोजित विश्व सब जूनियर (कैडिट) चैंपियनशिप में कांस्य
. 12 से 18 दिसंबर तक बेलग्रेड में आयोजित सीनियर वर्ल्ड कप रेसलिंग चैंपियनशिप में रजत पदक।

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फिलहाल टोक्यो ओलंपिक का टिकट लेकर वह पोलैंड में प्रैक्टिस कर रही हैं। देश को पूरी आस है कि अखाड़े में उतरकर अंशु देश के लिए गोल्ड जीतकर लाएगी।

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