हिंदू धर्म में प्रत्येक घर में सुबह-शाम पूजा की जाती है और इसलिए लोग अपने घर में मंदिर की स्थापना करते हैं। घर में रखा मंदिर छोटा हो या बड़ा लेकिन उसमें स्थापित देवता का विधि-विधान के साथ पूजन अवश्य करना चाहिए।वास्तु शास्त्र की मान्यता है कि घर में रोजाना पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता कभी प्रवेश नहीं करती। यदि मंदिर में रोजाना नियमानुसार धूप-प्रज्वलित किए जाएं तो घर में सुख-शांति और खुशहाली बनी रहती है। इसलिए मंदिर में रखी मूर्तियों से जुड़े कुछ नियमों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। क्योंकि छोटी सी लापरवाही आपके परिवार की खुशियां छीन सकती है। तो आइए जानते हैं मंदिर में खंडित मूर्ति क्यों को न रखने के बारे में
वास्तु के मुताबिक मंदिर में खंडित मूर्ति रखने से घर में नकारात्मकता आती है और खुशियों को ग्रहण लग जाता है। यदि घर में टूटी हुई या खंडित मूर्ति रखी है तो पूजा करते समय न चाहते हुए भी ध्यान उस मूर्ति की तरफ जाएगा। जिसकी वजह से पूजा में ध्यान नहीं लग पाता और पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। यदि आपके मंदिर में भी खंडित मूर्ति रखी हुई है तो उसे बिना देर किए आज ही बाहर कर दें और बहते पानी में प्रवाहित कर दें।
वहीं दूसरी ओर मंदिर या पूजा घर में भगवान की कोई भी ऐसी मूर्ति न रखें जिसमें कि उनकी पीठ के दर्शन हो रहे हों। इसे अशुभ माना जाता है और इसकी वजह से घर में दुर्भाग्य प्रवेश करता है। खासतौर पर भगवान गणेश की मूर्ति रखते समय इस बात का ध्यान रखें कि मूर्ति का पिछला भाग भूलकर भी दिखाई न दे रहा हो। मान्यता है कि भगवान गणेश की पीठ की ओर दरिद्रता वास करती है और इसकी वजह से धन संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है।