महिलाओं को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसमें एक बीमारी सीने में दर्द की भी है। कभी कभार सीने में अकड़न महसूस होती है। हर बार यह जरुरी नहीं कि यह हृदय रोगों के कारण ही हो। गर्दन से पेट तक इस रोग की समस्या आपको हो सकती है। इस दर्द का एक कारण गैस्ट्रोइंटस्टाइनल हार्मोन भी हो सकता है। सूजन, इंफ्लेमेशन या फिर पैनक्रियाज की समस्या के कारण भी आपको छाती में दर्द हो सकता है। आपको कुछ ऐसे आसन से बताने जा रहें हैं जिनकी मदद से आप इस दर्द से छुटकारा पा सकते हैं।
मत्स्यासन
मत्स्य का अर्थ होता है- 'मछली'। इस आसन को करने के लिए आपका शरीर मछली की मुद्रा में बन जाता है। इसलिए इस आसन को मत्स्यासन कहा जाता है। पैरों के भार बैठ जाएं। रीढ़ की हड्डी को सीधा कर लें। सिर को लंबा करते हुए जमीन की ओर झुका लें।
बाजुओं को उठाकर हाथों से पैरों के अंगूठे को पकड़ लें। खाली पेट ही इस आसन को करें। ये आसन आपके रिब्स की हड्डियों में खिचांव उत्पन्न करता है।साथ ही गर्दन और आगे दोनों हिस्सों को स्टैच करता है।
उष्ट्रासन
इस आसन में आपकी गर्दन ऊंट की तरह ऊंची होती है। इसे आसन को कमर के पीछे झुकाकर किया जाता है। सबस पहले मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं और हाथोंं को पीछे की तरफ कर लें। सांस लें और रीढ़ की हड्डी को पीछे की ओर झुकाकर हाथ से पैरों को पकड़ लें।इस आसन को करने से आपकी पीठ और कंधों को मजबूत करता है। साथ ही छाती को भी मजबूती देता है। सांस लेने के तरीके में भी सुधार आता है।
धनुरासन
इस आसन को करने के लिए पेट के बल लेट जाएं और हाथों को पीछे ले जाएं।गर्दन को एकदम सीधा कर लें। टांगों को थोड़ा सा उठाकर हाथों से पैरों को छूने का प्रयास करें। इसमें धनुष से बाण छोड़ने जैसा प्रतीत होता है। इस आसन को करने से थकान और स्ट्रैस दूर होता है। साथ ही आपके हृदय की भी मसाज होती है। इस आसान को करने से अस्थमा की बीमारी भी दूर होती है।
कोबरा आसन
यह आसन सांप के उठे हुए फन के आकार में किया जाता है। पेट के बल लेट जाएं और गर्दन को सीधा कर लें। पैरों को थोड़ा सा मोड़ लें। हाथों को आगे रखे लें और गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं। इसे कोबरा आसन कहते हैं। इससे आपके छाती और कंधे के मस्लस स्ट्रेच होते हैं।
बितिलासन
इस आसन को गाय के आकार में किया जाता है। संस्कृत में भितिला का अर्थ होता है- 'गाय'।इस आसन को करने के लिए दोनों घुटनों के बल बैठ जाएं। हाथों से जमीन को छूते हुए शरीर को नीचे की ओर ढकेलें और गर्दन से नीचे की ओर देखें। इसे भितिलासान कहते हैं।