विघ्नहर्ता श्रीगणेश के जन्मोत्सव का त्योहार गणेश चतुर्थी शनिवार 7 सितंबर यानी की कल है। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र-दर्शन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस दिन चंद्र दर्शन करने से मिथ्या दोष या झूठा कलंक लगता है। गणेश चतुर्थी के दिन चांद देखने की मनाही एक पुरानी पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है, जिसमें भगवान गणेश और भगवान कृष्ण का उल्लेख है। इसके पीछे एक प्रसिद्ध कथा है, जिसे जानना दिलचस्प है।
गणेश चतुर्थी पर चांद देखने की कथा
एक बार गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश अपने वाहन मूषक (चूहे) पर सवार होकर घूम रहे थे। मूषक अचानक एक सांप को देखकर डर गया और भगवान गणेश का संतुलन बिगड़ गया, जिससे वे जमीन पर गिर पड़े। इस कारण उनका पेट फट गया, और उनके पेट से खाना गिरने लगा। भगवान गणेश ने तुरंत उस सांप को उठाया और अपने पेट पर बांध लिया ताकि पेट को फिर से ठीक कर सकें।
भगवान गणेश ने दिया था चंद्रमा को श्राप
इस दृश्य को देखकर चंद्रदेव (चांद) हंस पड़े। चंद्रमा की इस हंसी से भगवान गणेश को बहुत क्रोध आया और उन्होंने चंद्रदेव को श्राप दे दिया। भगवान गणेश ने कहा कि आज के बाद से जो कोई भी चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखेगा, उस पर झूठा आरोप लगेगा और उसे अपमान का सामना करना पड़ेगा। चंद्रमा को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने भगवान गणेश से क्षमा याचना की। भगवान गणेश ने तब चंद्रमा को यह श्राप से कुछ राहत दी, लेकिन यह कहा कि जो कोई भी गणेश चतुर्थी के दिन चांद देखेगा**, उसे "मिथ्या दोष" लगेगा, जिसका मतलब है कि उस व्यक्ति पर झूठे आरोप लग सकते हैं या उसे अपमान का सामना करना पड़ सकता है।
भगवान कृष्ण और चांद देखने का संबंध
भगवान कृष्ण से जुड़ी एक अन्य कथा में बताया गया है कि द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने एक बार गणेश चतुर्थी के दिन अनजाने में चांद देख लिया था। इसके कारण उन पर "स्यमंतक मणि" नामक एक कीमती रत्न की चोरी का झूठा आरोप लगा। उन्हें अपमान का सामना करना पड़ा, और उन्होंने इस आरोप से मुक्ति पाने के लिए नारद मुनि से सलाह ली। नारद मुनि ने उन्हें बताया कि वे भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें प्रसन्न करें। पूजा करने के बाद भगवान गणेश ने उन्हें श्राप से मुक्त किया और झूठे आरोप से भी छुटकारा मिल गया।
चांद देखने से बचने का कारण
इस कथा के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन चांद देखने से झूठे आरोप लगने का खतरा रहता है। इसे "मिथ्या दोष" कहा जाता है, और इस दिन चांद देखने से लोग गलतफहमी या अपमान का सामना कर सकते हैं।
उपाय
यदि गलती से गणेश चतुर्थी के दिन चांद देख लिया जाए, तो "स्यमंतक मणि" की कथा का पाठ करना और भगवान गणेश की पूजा करना इस दोष को दूर करने का उपाय माना जाता है। इसके अलावा, गणेशजी का निम्नलिखित मंत्र जाप करने से दोष का निवारण होता है।
मंत्र: "सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥"
यह मंत्र गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन के मिथ्या दोष से मुक्ति दिलाता है। इस प्रकार, गणेश चतुर्थी के दिन चांद देखने की मनाही पौराणिक कथाओं और भगवान गणेश के श्राप से जुड़ी हुई है, और लोग इस दिन चांद देखने से बचते हैं ताकि झूठे आरोपों से बच सकें।