22 DECSUNDAY2024 11:18:19 PM
Nari

पहले प्यार फिर तकरार... पति से  बिछड़ने के बाद इस बेमिसाल सिंगर ने खुद को डूबा दिया था नशे में

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 20 Jul, 2023 11:28 AM
पहले प्यार फिर तकरार... पति से  बिछड़ने के बाद इस बेमिसाल सिंगर ने खुद को डूबा दिया था नशे में

बॉलीवुड में गीता दत्त का नाम एक ऐसी पार्श्वगायिका के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी आवाज की कशिश से श्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर दिया। 23 नवंबर 1930 में फरीदपुर शहर में जन्मी गीता दत्त  का बचपन के दिनों से ही  रूझान संगीत की ओर था और वह पार्श्वगायिका बनना चाहती ।

 

बर्मन साहब ने किया भरोसा

 गीता दत्त को सबसे पहले वर्ष 1946 में फिल्म ..भक्त प्रहलाद .. के लिये गाने का मौका मिला। उन्होंने कश्मीर की कली , रसीली , सकर्स किंग जैसी कुछ फिल्मो के लिये भी गीत गाये लेकिन इनमें से कोई भी बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुयी। इस बीच गीता दत्त की मुलाकात संगीतकार एस.डी.बर्मन से हुयी। बर्मन साहब को गीता के रूप में फिल्म इंडस्ट्री का उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया और उन्होंने गीता दत्त से अपनी अगली फिल्म ..दो भाई .. के लिये गाने की पेशकश की।

PunjabKesari

1951 में गुरूदत्त  आए गीता की जिंदगी में

 वर्ष 1947 में प्रदर्शित फिल्म .. दो भाई.. गीता दत्त के सिने कैरियर की अहम फिल्म साबित हुयी और इस फिल्म में उनका गाया यह गीत .. मेरा सुंदर सपना बीत गया .. लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। वर्ष 1951 गीता दत्त के सिने कैरियर के साथ ही व्यक्तिगत जीवन में भी एक नया मोड़ लेकर आया। फिल्म ..बाजी .. के निर्माण के दौरान उनकी मुलाकात निर्देशक गुरूदत्त से हुयी। फिल्म के एक गाने..तदबीर से बिगड़ी हुयी तकदीर बना ले .. की रिकाडिर्ंग के दौरान गीता को देख गुरू दत्त मोहित हो गये। गीता दत्त भी गुरूदत्त से प्यार करने लगी और वर्ष 1953 में दोनों ने शादी कर ली। 

PunjabKesari

ज्यादा देर नहीं चल सकी विवाहित जिंदगी

इसके साथ ही फिल्म ..बाजी .. की सफलता ने गीता दत्त की तकदीर बना दी और बतौर पार्श्वगायिका वह फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गयी। वर्ष 1957 में गीता और गुरू दत्त की विवाहित जिंदगी मे दरार आ गयी। गुरूदत्त चाहते थे गीता दत्त केवल उनकी बनाई फिल्म के लिये ही गीत गाये। काम में प्रति समर्पित गीता दत्त तो पहले इस बात के लिये राजी नहीं हुयी लेकिन बाद में गीता दत्त ने किस्मत से समझौता करना ही बेहतर समझा। धीरे धीरे अन्य निर्माता निर्देशको ने उनसे किनारा करना शुरू कर दिया। कुछ दिनों के बाद गीता दत्त अपने पति के बढ़ते दखल को बर्दाशत न कर सकी और उन्होंने गुरू दत्त से अलग रहने का निर्णय कर लिया। 


गुरूदत्त के जाने के बाद  नशे में डुबी गीता

गीता दत्त से जुदाई के बाद गुरूदत्त टूट से गये और उन्होंने अपने आप को शराब के नशे मे डूबो दिया। दस अक्तूबर 1964 को अत्यधिक मात्रा मे नींद की गोलियां लेने के कारण गुरू दत्त इस दुनियां को छोड़कर चले गये। उनकी मौत के बाद गीता दत्त को गहरा सदमा पहुंचा और उन्होंने भी अपने आप को नशे में डुबो दिया। गुरूदत्त की मौत के बाद उनकी निर्माण कंपनी उनके भाइयों के पास चली गयी। गीता दत्त को न तो बाहर के निर्माता की फिल्मों मे काम मिल रहा था और न ही गुरू दत्त की फिल्म कंपनी में। इसके बाद उनकी माली हालत धीरे धीरे खराब होने लगी।

PunjabKesari
1972 को दुनिया को कहा अलविदा

 कुछ वर्ष के पश्चात गीता दत्त को अपने परिवार और बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास हुआ और वह पुन: फिल्म इंडस्ट्री में अपनी खोयी हुयी जगह बनाने के लिये संघर्ष करने लगी। इसी दौरान दुर्गा पूजा में होने वाले स्टेज कार्यक्रम के लिये भी गीता दत्त ने हिस्सा लेना शुरू कर दिया।वर्ष 1967 में प्रदर्शित बंग्ला फिल्म ..बधू बरन .. में उन्हें काम करने का मौका मिला जिसकी कामयाबी के बाद वह  कुछ हद तक अपनी खोयी हुयी पहचान बनाने में सफल हो गयी। हिन्दी के अलावा गीता दत्त ने कई बंगला फिल्मों के लिये भी गाने गाये। सत्तर के दशक में गीता दत्त की तबीयत खराब रहने लगी और उन्होंने फिर गीत गाना कम कर दिया । लगभग तीन दशक तक अपनी आवाज से श्रोताओ को मदहोश करने वाली पार्श्वगायिका गीता दत्त 20 जुलाई 1972 को इस दुनिया से विदा हो गयी।
 

Related News