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Budhanilkantha Temple के नाम से भी खौफ खाता है नेपाल का राज परिवार! एक शाप है इसकी वजह

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 02 Jun, 2023 04:08 PM
Budhanilkantha Temple के नाम से भी खौफ खाता है नेपाल का राज परिवार! एक शाप है इसकी वजह

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को प्रमुख स्थान प्राप्त है। ऐसे में देश विदेश में कई जगहों पर भगवान विष्णु के मंदिर मिल जाते हैं। वहीं साप्ताहिक दिनों में बृहस्पतिवार यानि गुरूवार को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। कल ज्येष्ठ पूर्णिमा है, इस मौके पर चलिए आपको बताते हैं नेपाल के काठमांडू में स्थित भगवान विष्णु के मंदिर बुदानिकंथा के बारे में....

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ये प्राचीन मंदिर अपनी सुंदरता और चमत्कार के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। कहा जाता है कि इस मंदिर में राज परिवार के लिए शापित है। बुदानिकंथा मंदिर में राजपरिवार के लोग शाप के डर की वजह से दर्शन के लिए नहीं जाते हैं।  कहा जाता है कि राज परिवार का कोई भी सदस्य इस मंदिर में भगवान विष्णु की स्थापित मूर्ति के दर्शन करता है, तो उसकी मौत हो जाएगी, क्योंकि राजपरिवार को ऐसा शाप मिला हुआ है। इसकी वजह से राज परिवार के लोग इस मंदिर में पूजा-पाठ नहीं करने जाते हैं। राजपरिवार के लिए मंदिर में भगवान विष्णु की एक वैसी ही दूसरी मूर्ति स्थापित की गई है जिसकी वे पूजा कर सकें।

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 बुदानिकंथा मंदिर में भगवान विष्णु एक पानी के कुंड में 11 सापों के ऊपर सोती हुई मुद्रा में विराजमान हैं। भगवान विष्णु की काले रंग की यह मूर्ति नांगों की सर्पिलाकार कुंडली पर स्थित है। एक प्रचलित कथा के मुताबिक, एक बार एक किसान इस स्थान पर काम कर रहा था। इस दौरान किसान को यह मूर्ति मिली। 13 मीटर लंबे तालाब में स्थित भगवान विष्णु की मूर्ति पांच मीटर की है। नागों का सिर भगवान विष्णु के छत्र के रूप में स्थित है। 

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इस मंदिर में भगवान विष्णु के अलावा भगवान शंकर की भी मूर्ति स्थापित है। पौराणिक कथा के मुताबिक, समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला था, तो भगवान शिव ने इस सृष्टि को बचाने के लिए विष को पी लिया था। इसके बाद भगवान शिव के गले में जलन होने लगी, तो उन्होंने इस जलन को नष्ट करने के लिए पहाड़ पर त्रिशूल से वार कर पानी निकाला और इसी पानी को पीकर उन्होंने अपनी प्यास बुझाई और गले की जलन को नष्ट किया।

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शिव जी के त्रिशूल की वार से निकला पानी एक झील बन गया। अब उसी झील को कलयुग में गोसाईकुंड कहा जाता है।  इस मंदिर में हस साल वैसे शिव महोत्सन का आयोजन किया जाता है। कहा जाता है कि इस दौरान इस झील के नीचे भगवान शिव की छवि दिखाई देती है।

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