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प्रीमैच्योर बच्चों को थायराइड होने का ज्यादा खतरा, लक्षण देखें तो पेरेंट्स न करें Ignore

  • Edited By palak,
  • Updated: 08 Feb, 2024 12:35 PM
प्रीमैच्योर बच्चों को थायराइड होने का ज्यादा खतरा, लक्षण देखें तो पेरेंट्स न करें Ignore

ज्यादातर लोगों को लगता है कि थायराइड बड़ों को होने वाली समस्या है लेकिन यह समस्या बच्चों को भी हो सकती है। हालांकि पुरुषों और बच्चों की तुलना में महिलाओं को यह समस्या ज्यादा होती है। बच्चों में थायराइड की समस्या तब होती है जब पेरेंट्स बच्चों के खान-पान की आदतों पर अच्छे से ध्यान नहीं दे पाते। इसके कारण उनके शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है जिससे उन्हें थायराइड की बीमारी हो सकती है। लेकिन बच्चों में किस तरह का थायराइड होता है आज आपको इस आर्टिकल के जरिए बताएंगे। आइए जानते हैं।

बच्चों में होने वाले थायराइड के प्रकार 

गले में मौजूद तितली के आकार की ग्रंथि को थायराइड ग्लैंड कहते हैं। यह ग्रैंड शरीर में टी3 और टी4 हार्मोंस का निर्माण करते हैं। इन हार्मोंस की मदद से शरीर में कई तरह की गतिविधियां नियंत्रित रहती हैं जैसे धड़कनों का बढ़ना, मेटाबॉल्जिम को बनाए रखना, मूड को बेहतर करना, शरीर के तापमान को कंट्रोल करना आदि। इन हार्मोन्स के असंतुलन होने के कारण शरीर में सारी गतिविधियां गड़बड़ाने लगती हैं। बच्चे हो या बड़े दोनों ही स्थितियों में दो तरह के थायराइड होते हैं। 

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हाइपोथायराडिज्म 

इस स्थिति में थायराइड ग्रैंड हार्मोन्स का निर्माण कम कर देते हैं जिसके कारण से कई स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां होने लगती हैं। 

हाइपरथायराडिज्म

इस स्थिति में जरुरत से ज्यादा शरीर में हार्मोन्स बनने लगते हैं जिसके कारण शरीर को नुकसान पहुंचता है। 

बच्चों में कितना होना चाहिए टीएसएच (TSH) लेवल?

टीएसएच एक टेस्ट है जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि थायराइड ग्लैंड कितना उत्तेजित है। यह हमारे मस्तिष्क के पिट्यूटरी ग्रंथि में पाया जाता है। इसमें टी4 और टी3 को नियंत्रित करने की क्षमता होती है। एक्सपर्ट्स की मानें तो 0-2 हफ्ते के बच्चों में टीएसच का स्तर 1.6-24.3 mU/L होना चाहिए। 2-4 हफ्ते के बच्चों में टीएसएच का स्तर 0.58-5.58 mU/L और हफ्ते से 18 साल के बच्चों में थायराइड का सामान्य स्तर 0.55-5.31 mU/L होना चाहिए। यदि इससे ज्यादा या कम टीएसएच हो तो यह थायराइड की निशानी हो सकती है। 

बच्चों में थायराइड के कारण 

. प्रीमैच्योर बेबी जिन्हें डाउन सिंड्रोम की समस्या होती है उन्हें जन्मजात थायराइड की समस्या हो सकती है। इसके अलावा ऑटोइम्यून थायराइड से मां के द्वारा बच्चों को थायराइड की परेशानी हो सकती है। जुड़वा बच्चे, आईवीएफ जैसे कुछ मामलों में भी बच्चों में थायराइड की समस्या हो सकती है। 

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. यदि आप बच्चों को खान-पान पर सही ध्यान नहीं देते तो भी उन्हें थायराइड हो सकता है मुख्यतौर पर आयोडीन युक्त आहार की कमी के कारण शिशुओं में थायराइड हो सकता है। 

बच्चों में थाइयराइड के लक्षण 

बच्चों को उम्र और थायराइड के प्रकार के हिसाब से थायराइड के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। 

हाइपोथायराडिज्म के बच्चों में लक्षण 

छोटे बच्चों में दिखते हैं ऐसे लक्षण 

. विकास धीरे-धीरे होना 
. शरीर में एनर्जी की कमी 
. कब्ज रहना 

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. स्किन ड्राई होना 
. देर से दांत आना
. काम में सुस्ती

बड़े बच्चों में दिखते हैं ऐसे लक्षण 

 . बाल झड़ना 
. वजन बढ़ना

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. आवाज में कर्कश होना 
. याददाश्त कमजोर होना 
. अनियमित पीरियड्स होना 
. डिप्रेशन
. कब्ज 

बच्चों में हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण 

छोटे बच्चों में दिखते हैं ऐसे लक्षण 

. चिड़चिड़ा होना 
. धड़कन बढ़ना 
. वजन काफी ज्यादा कम होना 

बड़े बच्चों में दिखने वाला लक्षण 

. सांस लेने में परेशानी 
. थकान 
. वजन घटना 
. अनियमित पीरियड्स 
. गर्मी ज्यादा लगना 
. दस्त बने रहना 
. आंखों के आस-पास सूजन होना 

कैसे करें बचाव?

बच्चों में थायराइड का इलाज 

बच्चों में थायराइड का इलाज संभव नहीं है हालांकि वह इस बात पर निर्भर करता है बच्चों को थायराइड किस कारण से हुआ है। 

हाइपोथायरायडिज्म में बच्चों को कैसे बचाएं 

. शरीर में हार्मोन्स की कमी के कारण बच्चों को हार्मोन्स रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जा सकती है। 

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. थायराइड के कारण कुछ बच्चों में मानसिक समस्याएं हो सकती है। ऐसे में आप उन्हें किसी मनोचिकित्सक को दिखा सकते हैं। 

. इसके अलावा डॉक्टरी सलाह पर आप बच्चों को कुछ दवाईयां दे सकते हैं। 

हाइपरथायरायडिज्म में बच्चों को कैसे बचाएं 

. यदि बच्चों के शरीर में हार्मोन्स की मात्रा ज्यादा है तो डॉक्टरी सलाह पर आप उन्हें कुछ दवाईयां देकर हार्मोन्स को कंट्रोल कर सकते हैं। 

. बच्चों में यह समस्या के लक्षण दिखने पर तुंरत डॉक्टर से सलाह लें। 

. हल्के फुल्के लक्षणों को बच्चे में नजरअंदाज न करें। इससे उनमें समस्या बढ़ सकती है। 
 

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