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Order-Order! साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट के वो फैसले जिन्होंने बदली महिलाओं की जिंदगी

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 30 Dec, 2020 04:15 PM
Order-Order! साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट के वो फैसले जिन्होंने बदली महिलाओं की जिंदगी

साल 2020 तमाम उतार-चढ़ाव वाला रहा। इस साल एक तरफ जहां कोरोना ने तमाम जिंदगीयां आफत में डाली वहीं दूसरी ओर महिलाओं के साथ भी ऐसी घटनाएं सामने आई जिसने सब को हैरान कर दिया। हमारे संविधान में महिलाओं को बहुत सारे अधिकार प्राप्त हैं लेकिन कुछ चीजों में आज भी लड़कियों को कम और बेटों को ज्यादा आंका जाता है। बात करें पिता की संपत्ति की तो एक लड़की किसी भी गिनती में नहीं आती थी लेकिन यह साल महिलाओं के प्रति बदलाव वाला रहा। साल को खत्म होने में सिर्फ 1 दिन बाकी रह गया है और आज हम आपको साल 2020 के महिलाओं के लिए वो फैसले बताते हैं जिन्होंने समाज की असल में तस्वीर बदल डाली है। 

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फैसला नंबर-1 

थलसेना में मिला बराबरी का हक 

जब भी सेना की बात आती है तो लड़कियों को लड़के से कम ताकतवर समझा जाता है। हमेशा एक लड़की को शारीरिक रूप से कमजोर समझा जाता है यही वजह रही कि आज तक महिला को आर्मी में वो सम्मान नहीं मिला। हालांकि इस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सारी तस्वीर बदल डाली है और अब थलसेना में भी महिलाओं को बराबरी का हक मिला है। 

क्या सुनाया फैसला?

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सुप्रीम कोर्ट ने आर्म्ड फोर्स में महिलाओं के साथ भेदभाव को खत्म कर कहा कि सभी महिला ऑफिसरों को परमानेंट कमिशन मिलेगा। जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि महिलाओं ने अतीत में तमाम बहादुरी के कारनामे किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत 14 साल से कम और उससे ज्यादा सेवाएं दे चुकीं महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन का मौका दिया जाए। महिलाओं को कमांड पोस्टिंग का अधिकार मिले। और स्थाई कमीशन लागू होने की वजह से अब महिलाएं 20 साल तक सेना में काम कर सकेंगी। इसी स्थाई कमीशन के लिए महिलाओं ने लंबे साल तक लड़ाई लड़ी। 

फैसला नंबर -2 

संपत्ति में मिला बराबर का हक

हमारे समाज में लोगों की सोच यही है कि पिता का अंश एक बेटा ही चला सकता है उसी तरीके से पिता की संपत्ति में भी सिर्फ और सिर्फ बेटे का हक हो सकता है लेकिन इस साल महिलाओं को इसमें भी अधिकार प्राप्त हो गया है। 

क्या सुनाया फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि बेटी को अपने पैतृक संपत्ति में बेटे के बराबर का अधिकार है और हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के वक्त चाहे बेटी के पिता जिंदा रहे हों या नहीं बेटी को हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (एचयूएफ) में बेटे के बराबर संपत्ति में अधिकार मिलेगा। बेटी को पैदा होते ही जीवनभर बेटे के बराबर का अधिकार मिलेगा।

बेटे के बराबर बेटी 

इस फैसले में यह भी कहा गया कि यदि पिता की मृत्यु हो चुकी है और बंटवारा भी, तो ऐसे में भी बेटियों का इस पर पूरा हक होगा। 

फैसला नंबर-3 

बहू को ससुराल में रहने का अधिकार 

महिलाओं के साथ आज भी घरेलू हिंसा के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में जब भी पति कभी पत्नी के साथ मार-पीट करता था तो एक महिला को हमेशा घर से निकाले जाने का डर होता लेकिन इस साल महिला को यह अधिकार भी मिल गया है कि वह ससुराल में रह सकती है। 

क्या सुनाया फैसला?

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत संपत्ति मालिक अगर डोमेस्टिक रिलेशनशिप में हो तो बहू को संपत्ति में रहने का अधिकार है। यानी सास-ससुर अगर डोमेस्टिक रिलेशनशिप में हैं तो बहू शेयर्ड हाउस होल्ड प्रॉपर्टी में रह सकती है। सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले में बहू को ससुराल में रहने का अधिकार दिया गया। 

इस फैसले के तहत बहू को सास-ससुर के उस घर में भी रहने का हक है, जिसमें वो अपने संबंधों के कारण पहले रह चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि महिला पति के ही नहीं, बल्कि पति के किसी भी रिश्तेदार के घर पर रह सकती है। इस फैसले के बाद अब पत्नी पति के किसी भी रिश्तेदार के घर पर रहने की हकदार है।

तो ये थे इस साल के वो 3 फैसले जिसने सच में महिलाओं की जिंदगी बदल दी है। 

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