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68 साल की सुनीता की अनोखी पहल, बच्चों को सीखा रही सीड्स पेन-पेसिंल बनाना

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 02 Jun, 2021 01:30 PM
68 साल की सुनीता की अनोखी पहल, बच्चों को सीखा रही सीड्स पेन-पेसिंल बनाना

बुढ़ापा आते ही लोगों को बीमारियां जकड़ लेती हैं और वो बिस्तर पकड़ लेते हैं। मगर, आज हम एक ऐसी दादी के बारे में बताने जा रहे हैं जो बुढ़ापे में भी कुछ ना कुछ नया सीखती रहती हैं। यही नहीं, वह अपने नातियों को भी कुछ अलग सीखाती रहती हैं। हम बात कर रहे हैं मल्टीटैलेंड सुनीता खन्ना की जो एक टीवी चेहरा, लेखक, शिक्षक, फेमस शिल्प प्रशिक्षक, कार्यशाला सलाहकार हैं। इसके अलावा वह एक पर्यावरणविद् (Environmentalist) भी हैं, जो आने वाली पीढ़ी को बेहतर भविष्य देने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।

26 साल की उम्र में हुआ रूमेटोइड गठिया

सुनीता बचपन से एक ही होनहार स्टूडेंट रही। उन्होंने मदर्स इंटरनेशनल स्कूल और कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरीज, नई दिल्ली में पढ़ाई की और पटियाला के गवर्नमेंट कॉलेज से B.A. और नेपाल यूनिवर्सिटी से B.ed किया। एक प्राथमिक शिक्षक और DPS मथुरा रोड के प्रभारी संसाधन केंद्र के रूप में अपनी पहचान बनाई। 26 की उम्र में पहली प्रेगनेंसी के बाद सुनीता को माइनर रूमेटोइड गठिया अटैक आया, जिसके कारण उन्हें बहुत-सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। मगर, वह कभी हार न मानने के रवैए से बढ़ती रही।

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लेकिन नहीं मानी हार

36 वर्षों के लंबे ट्रैक रिकॉर्ड के बाद सुनीता ने बच्चों के लिए प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं / पुस्तकों में कई लेख लिखे हैं। इसके अलावा वह छोटे बच्चों को स्कूल में लाइफ स्किल्स और नैतिक मूल्य भी सिखा रही थी। इसके साथ ही वह बच्चों को पर्यावरण का मूल्य भी सिखाती हैं। लगभग 2 साल पहले वह एनजीओ ग्रामर के संपर्क में आई थी, जो सीड पेंसिल और पेन और सीड नोट पैड, सीड राखी, सीड नेशनल फ्लैग्स इको-फ्रेंडली रिटर्न गिफ्ट्स जैसे सभी पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बना रहा है। एनजीओ उन्हें मुफ्त और बहुत सस्ती कीमतों पर बेच रहा है। उनके पोते अरहान ने पुरानी प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल करके 'बेस्ट आउट वेस्ट' की पहल शुरु की है।

बच्चों को किया पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित

उनका कहना है कि मुझे सभी के साथ साझा करते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि मैंने 36 वर्षों तक डीपीएस मथुरा रोड में काम किया है। मैंने हमेशा अपने स्टूडेंट को अलग-अलग एक्टिविटीज में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया। सुनीता ने बताया कि मैं बच्चों को टीवी कार्यक्रमों के लिए ले गई, उन्हें लेख लिखने और पत्रिकाओं और पत्रिकाओं में प्रकाशित करने के लिए प्रेरित किया, जिससे उनमें पढ़ने और लिखने के लिए प्यार पैदा हुआ।

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लिख चुकी हैं कई किताबें

वह अब तक 10 से अधिक पुस्तकें लिख चुकी हैं, जिसमें से 'डू इट योरसेल्फ क्राफ्ट' सबसे फेमस है। इसके अलावा वह बच्चों के लिए कई कहानियों की किताबें भी लिख चुकी हैं। हाल ही में सुनीता को सेकेंड इनिंग्स सेंटर, गुड़गांव में एक वर्कशॉप करने के लिए आमंत्रित किया गया था, जहां उन्होंने पुराने अखबारों और पत्रिकाओं के इस्तेमाल से सीड पेंसिल और पेन बनाने का तरीका बताया। इसके बाद उन्होंने स्टूडेंट्स को एनजीओ के साथ जोड़ा।

लगाई कई वर्कशॉप व शिविर

वह पिछले 16 सालों से इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में कार्यशालाएं आयोजित कर रही हैं। इसके अलावा वह ग्लास पेंटिंग, टाइल पेंटिंग, लाइफ स्किल्स से रिलेटिड वर्कशॉप भी लगा चुकी हैं। उन्होंने इंडिया हैबिटेट सेंटर, एपिसेंटर, दिल्ली हाट, ताज पैलेस होटल, डीएलएफ मॉल, रैडिसन जैसी फेमस जगहों पर भी वर्कशॉप लगाई हैं। इसके अलावा उन्होंने टीसीएस, फ्रेस्का, एबीबी आदि जैसे कॉरपोरेट्स के लिए कई शिविर आयोजित किए हैं।

अखबारों व बीजों से बनाना सीखाई पेन-पेसिंल

ये पेंसिलें पुराने अखबारों और पत्रिकाओं से बनी होती हैं, जिससे पेड़ों की बचत होती है क्योंकि इसमें लकड़ी का इस्तेमाल नहीं होता है और सीड पेन का इस्तेमाल कर प्लास्टिक को NO कहा जा सकता है। सीड पेंसिल में टमाटर, गाजर, धनिया आदि सब्जियों के बीज होते हैं और उनके पीछे फूल भी लगाए जाते हैं।

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