भारत देश में ऐसी कई महिलाएं हैं जिनकी सफलता बाकी महिलाओं के लिए भी बहुत ही इंस्पायरिंग है। उन्हीं में से एक है बायजू की को-फाउंडर दिव्या गोकुलनाथ। दिव्या सिर्फ 34 साल की है और उनकी कुल संपत्ति करीबन 3.05 डॉलर रुपये है जो कि करीबन 22.3 हजार करोड़ रुपये के आस-पास है। दिव्या ने अपने पति के साथ मिलकर कंपनी को इतनी ऊंचाईयों तक पहुंचा दिया है कि हर कोई आज उनकी सक्सेस स्टोरी जानने के लिए उत्सुक है। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर दिव्या कौन हैं और उन्होंने कैसे इस कंपनी की शुरुआत की थी...
2011 में की थी ऑनलाइन एजुकेशन कंपनी शुरु
दिव्या शुरुआत में एक छात्र के रुप में अपने पति रविंद्रन के पास ट्यूशन पढ़ने के लिए गई थी। परंतु बाद में दोनों ने शादी कर ली और कंपनी को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया। उनके पति रविंद्रन गणित की ट्यूशन देते थे और उन्होंने साल 2011 में ऑनलाइन शिक्षा कंपनी की शुरुआत की थी।
बायोटेक्नोलॉजी में कर चुकी हैं बीटेक
दिव्या का जन्म बेंगलुरु में हुआ था। उनके पिता अपोलो अस्पताल में गुर्दा रोग के विशेषज्ञ हैं और उनकी मां दूरदर्शन प्रोग्राम में एक एक्जिक्यूटिव के तौर पर कार्य कर चुकी हैं। दिव्या अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। उनकी शुरुआती शिक्षा ही साइंस में हुई थी। इसके बाद दिव्या ने फ्रैंक एंथनी स्कूल के बाद आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बायोटेक्नोलॉजी में बीटेक किया है। इसके बाद पढ़ाई करने के दौरान उनकी मुलाकात रविंद्रन के साथ हुई। पढ़ाई के प्रति उनकी इच्छा देखकर रविंद्रन ने उन्हें टीचर के पेशे में आने के लिए प्रोत्साहित किया।
2008 में की करियर की शुरुआत
दिव्या ने अपने करियर की शुरुआत साल 2008 में एक टीचर के तौर पर की थी। एक इंटररव्यू में उन्होंने इस बात का खुलासा किया था कि शुरुआत में वह जिन बच्चों को पढ़ाती थी वह उनसे कुछ साल छोटे होते थे। इसलिए उनसे थोड़ा अलग दिखने के लिए वह पढ़ाने के लिए क्लास में साड़ी पहनकर जाती थी। जीआराई की परीक्षा पास करने के बाद दिव्या को कई सारे अमेरिका के नामी विश्वविद्यालयों में एडमिशन दिलवाया गया लेकिन उन्होंने देश में रहकर पति रविंद्रन के साथ रहकर काम करने का फैसला किया ।
कंटेन्ट पर करती हैं ज्यादा फोकस
काम और घर के कामों के बीच संतुलन बनाए रखने के बारे में दिव्या ने बताया कि उनके लिए काम ही उनका जीवन है। दिव्या का मानना है कि जब आप किसी काम को पूरे जोश और मेहनत के साथ करते हैं तो आपकी जिंदगी बन जाती है। इसके अलावा वह बायजू में कंटेंट पर ज्यादा ध्यान देती हैं। उनकी यही कोशिश होती है कि देश के कोने-कोने में अलग जगह बैठे छात्र को कोई भी विषय समझने में परेशानी न हो और वह इसे आसानी से समझ सके।