22 NOVFRIDAY2024 11:07:56 AM
Nari

श्री श्री रविशंकर जी ने किया आलिया का सपोर्ट, बोले- कन्यादान की प्रथा खत्म होनी चाहिए

  • Edited By Bhawna sharma,
  • Updated: 22 Sep, 2021 01:50 PM
श्री श्री रविशंकर जी ने किया आलिया का सपोर्ट, बोले- कन्यादान की प्रथा खत्म होनी चाहिए

बाॅलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट का एक विज्ञापन खूब सुर्खियों में है जिसमें वो दुल्हन बनी नजर आ रही हैं। इस ऐड के जरिए कन्यादान परंपरा पर सवाल उठाए गए हैं। वहीं, विज्ञापन के सामने आते ही लोगों ने इसे धार्मिक मुद्दा बना दिया है। एक्ट्रेस कंगना रनौत ने भी इसे लेकर आलिया भट्ट पर निशाना साधा। इस बीच ऑर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और भारतीय धार्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने आलिया का सपोर्ट किया है। 

इसके साथ ही श्री श्री रविशंकर ने कहा कि कन्यादान की प्रथा को खत्म कर देना चाहिए। उन्होंने पाणिग्रह की प्राचीन वैदिक परंपरा का जिक्र भी किया है। हाल ही में दिए इंटरव्यू में श्री श्री रविशंकर ने कहा, 'विशेष रूप से श्रुतियों में कन्यादान जैसी चीज का कहीं भी जिक्र नहीं है। स्मृतियों में यह चीज बाद में रकी गई। पाणिग्रह वैदिक संस्कृत शब्द है, जिसमें हाथ पकड़ा जाता है। इसमें हाथ में हाथ पकड़े रहना होता है।' 

PunjabKesari

'फिर चाहे वह पति, पत्नी का पकड़े या पत्नी होने वाले पति का हाथ पकड़े। हमारी वैदिक संस्कृतिक व्यवस्था में लैंगिक समानता बहुत अधिक है। युगों-युगों से जो हुआ उसमें कई बदलाव आ गए हैं। फिर कन्यादान को उसका अंग बना दिया गया। कन्या दान के रुप में दी जाने वाली कोई वस्तु नहीं है। मैं इसे हमेशा पाणिग्रह कहना पसंद करूंगा, जहां पिता कहते हैं तुम मेरी बेटी को संभालो। जो इसका सही अर्थ है लेकिन मध्य युग में इसे दान के रुप में खराब कर दिया गया है। मैं कहूंगा कि कन्यादान को हटा दिया जाना चाहिए। अगर इसे हटा दिया जाएगा तो यह किसी भी तरह से हमारी वैदिक स्थिति या सिद्धांत या दर्शन को कम नहीं करेगा।' 

PunjabKesari

बता दें इससे पहले कंगना रनौत ने आलिया पर इस धार्मिक मुद्दे को लेकर निशाना साधा। कंगना कहती हैं, 'हम सब टीवी पर आए दिन देखते हैं कि जब सीमा पर कोई जवान शहीद हो जाता है तो उसके पिता गरजते हुए कहते हैं कि कोई बात नहीं, मेरा एक बेटा और है। मैं धरती मां के लिए उसे भी दान कर दूंगा' कन्यादान हो या पुत्रदान, समाज इसे त्याग की प्रवृत्ति से देखता है। इससे उसके केंद्र में मान्यताओं का पता चलता है।'

 

Related News