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40% काम करते एक फेफड़े के साथ 12 साल की मासूम ने हंसते-हंसते कोरोना को हराया

  • Edited By Anu Malhotra,
  • Updated: 26 Jun, 2021 06:53 PM
40% काम करते एक फेफड़े के साथ 12 साल की मासूम ने हंसते-हंसते कोरोना को हराया

12 साल की एक मासूम बच्ची ने केवल एक फेफड़े के साथ कोरोना की जंग जीत ली। हैरानी वाली बात यह है कि 12 साल की एक मासूम बच्ची सिमी का एक फेफड़ा केवल  40% ही काम करता है उसके बावजूद वह अपनी मजबूत इच्छाशक्ति और हौसले से कोरोना वायरस को हरा दिया। 

मामला मध्य प्रदेश के इंदौर का है सिमी के पास जन्म से ही उसका एक हाथ नहीं है। 4 साल से हर रात उसे ऑक्सीजन लगती है, लेकिन उसके हौसले के आगे कोरोना भी हार गया। 

जब कोरोना से संक्रमित हुई बच्ची तो ऑक्सीजन लेवल  एक समय में  50 के पार पहुंच गया था लेकिन उसने हार नहीं मानी। 12 वर्षीय सिमी इंदौर के इलेक्ट्रिक व्यवसायी अनिल दत्ता की दूसरी बेटी है। 

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रीढ़ की हड्‌डी फ्यूज,  अविकसित किडनी के बावजूद हौंसला है कायम-
पिता के मुताबिक,  2008 में सिमी गर्भ में थी, तब अस्पताल में सोनोग्राफी हुई थी।  डॉक्टरों ने दोनों रिपोर्ट में सबकुछ अच्छा बताया था।  2009 में सिमी का जन्म हुआ, तो उसका बायां हाथ नहीं था, जिससे परिवार में मायूसी छा गई। इतना ही नहीं रीढ़ की हड्‌डी फ्यूज थी और किडनी भी अविकसित थी। बदनसीबी यह रही कि 8 साल बाद एक फेफड़ा भी पूरी तरह सिकुड़ गया। फेफड़ा सिकुड़ने की वजह से ऑक्सीजन लेवल 60 तक पहुंच जाता है। सांस लेने के लिए उसे हर रोज रात में ऑक्सीजन लगाई जाती है। 

बायपेप और ऑक्सीजन से 12 दिन बाद में कोरोना को हराया-
ऐसे में जब कोरोना संक्रमण फैला तो सिमी का ऑक्सीजन लेवल 50 तक चला गया। इस दौरान परिवार ने डॉ. मुथीह पैरियाकुप्पन (अब चेन्नई में) से चेकअप करवाया।  घर में ही ही उसे बायपेप और ऑक्सीजन लगाई।  कई दिनों तक वह इसी स्थिति में रही। लेकिन फिर भी उसने हौसला नहीं हारा और 12 दिन बाद कोरोना से भी जंग जीत ली।  

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सिमी ने डॉक्टर के बताए अनुसार एक्सरसाइज भी शुरू की है। जिसके बाद ऑक्सीजन और बायपेप की भी जरूरत नहीं पड़ी।

दूसरे बच्चों से अलग है सिमी- 
पिता के अनुसार,  बच्ची दूसरे बच्चों से अलग है। औसतन 50% के आसपास ही उसका ऑक्सीजन  लेवल रहता है। कभी-कभी 70 तक पहुंचता है, लेकिन रोजाना सोते वक्त ऑक्सीजन लेवल 50 से नीचे पहुंच जाता है, कोविड के दौरान उसका ऑक्सीजन लेवल 50% के नीचे पहुंच गया था जिससे उसकी कभी-कभी यादाश्त भी चली जाती थी, इसके बावजूद बच्ची में जिंदगी जीने की इच्छा नहीं छोड़ी। बाहुदरी की बात यह है कि अस्पताल गए बिना घर  ही सिमी ने अपने मजबूत हौसले से कोरोना को मात दे दी।
 

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