कर्मफल दाता शनि जल्दी किसी से प्रसन्न नहीं होते। ऐसा माना जाता है कि शनि सभी को उनके कर्मों के मुताबिक, ही फल देते हैं, इसलिए उन्हें कर्मफल दाता कहा जाता है। नौ ग्रहों में शनि देव का स्थान बहुत ही खास बताया गया है। शनि की छाया, शनि की दशा, शनि की साढ़े साती और शनि ढैय्या से सिर्फ मनुष्ट ही नहीं देवता भी नहीं बच पाते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, कई राशियां शनि के प्रकोप से बिल्कुल भी नहीं बच पाती हैं। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में...
भगवान शिव भी नहीं बच पाए थे शनि छाया से
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, स्वंय देवों के देव महादेव भी शनि की छाया से बच नहीं पाए थे। शनि की छाया से बचने के लिए भगवान शिव ने हाथी का रुप धारण किया था। इसका अर्थ है कि भगवान को भी स्वंय देव योनि को छोड़कर पशु योनि में जाना पड़ा था।
शनि को है दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, भगवान शनि देव को दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त है। मकर राशि और कुंभ राशि के स्वामी स्वंय शनिदेव ही हैं। इसके अलावा तुला राशि को शनि की उच्च राशि और मेष राशि को शनि की नीच राशि माना गया है।
तुला राशि है शनिदेव की प्रिय
शास्त्रों के अनुसार, तुला राशि शनि देव को बहुत ही प्रिय है। इस राशि के जातकों को शनि किसी विचित्र परिस्थिति में ही परेशान करते हैं। जब इस राशि के जातक कोई गलत काम करते हैं, तो ही शनिदेव इन्हें परेशान करते हैं। इस राशि के जातकों को एकता में रहना चाहिए। यदि जातक इन बातों का ध्यान नहीं रखते तो वह शनि को कष्ट देते हैं। इसके साथ ही तुला राशि के जातकों को शनिदेव आसानी से सफलता भी नहीं देते हैं। इसलिए इन्हें धैर्य बनाकर कड़ी मेहनत के साथ काम करना चाहिए। मेहनत करने से बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए।
ऐसे करें शनिदेव को खुश
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए नियम और अनुशासना का पालन जरुर करें। आलस्य से बिल्कुल दूर रहें और जरुरतमंद व्यक्तियों की समय-समय पर मदद करते रहें। इसके अलावा जो व्यक्ति दूसरों की सेवा करते हैं, बुरे वक्त में उनका साथ निभाते हैं। शनिदेव ऐसे लोगों को भी कभी परेशान नहीं करते।